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- तिछालोक - जम्बूदीप र रत्नप्रभा नरक पृथ्वी की सपाटी (छत) पर असंख्य द्वीप-समुद्र हैं। इसके मध्य भाग में जम्बूद्वीप है। जो एक लाख योजन लम्बा-चौड़ा एवं थाली के समान गोल आकार का है। इसके चारों तरफ लवण समुद्र है। जम्बूद्वीप के मध्य में मेरुपर्वत है। यह जम्बूद्वीप 6 कुलधर पर्वतों द्वारा 7 क्षेत्रों में विभक्त है। यानि कि एक क्षेत्र, एक पर्वत, एक क्षेत्र, एक पर्वत इस
प्रकार 7 क्षेत्र और 6 पर्वत आए हुए हैं। अब इन सबको हम विस्तार से समझेंगे। 1. भरत क्षेत्र: जम्बूद्वीप के दक्षिण भाग के अंत में सर्व प्रथम भरत क्षेत्र है।
इस क्षेत्र की दक्षिण से उत्तर की ओर चौड़ाई 526 योजन एवं 6 कला है, भरत क्षेत्र/ इस क्षेत्र में गंगा-सिंधु ये दो नदियाँ बहती है। ये प्रत्येक नदी 14,000
/ नदियों के परिवार से युक्त है। इस प्रकार भरत क्षेत्र में कुल 28,000 नदियाँ सिंधु नदी गंगा नदी बहती है। यह कर्मभूमि हैं। यहाँ छ: आरे होते हैं। 2. हिमवंत पर्वत: भरत क्षेत्र के बाद हिमवंत पर्वत आया हुआ है। यह पर्वत भरत क्षेत्र से दुगुणा है यानि कि यह पर्वत 1052 योजन एवं 12 कला चौड़ा तथा 100 योजन ऊँचा है। यह सोने का बना हुआ है। इस पर 11 कूट हैं। इसके मध्य में पद्मद्रह है। इस द्रह से तीन नदियाँ निकलती है गंगा,
1 पर्वत सिंधु और रोहितांशा। गंगा-सिंधु नदी पद्मद्रह से निकलकर भरत क्षेत्र में
IN बहती हैं। और रोहितांशा नदी हिमवंत क्षेत्र के पश्चिम भाग में बहती है। इस द्रह की देवी का नाम 'श्रीदेवी' है।
3. हिमवंत क्षेत्र : हिमवंत पर्वत के पास हिमवंत क्षेत्र आया हुआ है। यह क्षेत्र हिमवंत पर्वत से दुगुणा है तथा भरत क्षेत्र से चार गुणा बड़ा है। यानि कि इस क्षेत्र का माप 2105 योजन 5 कला हैं। (19 कला = 1 योजन)। इस क्षेत्र के मध्य भाग में वृत वैताढ्य पर्वत है। इस क्षेत्र में रोहिता एवं रोहितांशा ये दो नदियाँ बहती हैं। रोहिता नदी हिमवंत क्षेत्र के पूर्व भाग को दो भागों में बाँटती हुई पूर्व लवण समुद्र में मिलती है
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पद्म द्रह हिमवंत
वृत्त वैतादय
रोहिता नदी
TO
रोहितांशा
नदी हिमवंत क्षेत्र