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मात्र पुरुषों के लिये मस्तक पर तीन प्रमार्जना (बीच में, बायें-दायें)
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मुख एवं उसके दोनों बाजू मुँहपत्ति को ले जाना
मात्र पुरुषों के लिये हृदय एवं उसके दोनों तरफ प्रमार्जना
32. कृष्ण लेश्या 33. नील लेश्या 34. कापोत लेश्या परिहरूँ 35. रस गारव. 36. ऋद्धि गारव 37. शाता गारव परिहरु 38. माय शल्य 39. नियाण शल्य 40. मिथ्यात्व शल्य परिहरूँ 41. क्रोध 42. मान परिहरु 43. माया 44. लोभ परिहरूँ 45. पृथ्वीकाय 46. अप्काय 47. तेउकाय की रक्षा करूं 48. वाउकाय 49. वनस्पतिकाय 50. त्रसकाय की जयणा करूं
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मात्र पुरुषों के लिये बांयें खंधे (कंधे) पर प्रमार्जना मात्र पुरुषों के लिए दायें खंधे (कंधे) पर प्रमार्जना दायें पैर पर तीन बार चरवला से प्रमार्जना
बायें पैर पर तीन बार चरवला से प्रमार्जना
जरा विचारे??? आपके घर की छत पर दाने डाले जाये तो गौर करना कि सूर्योदय होने के पहले कोई पक्षी दाना नहीं चुगेगा। मण भर दाने पड़े होंगे तो भी सूर्यास्त के बाद कोई भी पक्षी एक दाना मुँह में नहीं डालेगा। इन पक्षियों को किसी धर्म-गुरु ने रात्री-भोजन त्याग का नियम नहीं दिया है। समझदारी का ठेका लेकर फिरने वाले मनुष्य के पास पक्षियों जैसी सीधी सादी समझ भी नहीं है। यह बड़े ही अफसोस की बात है।
नरक के नेशनल हाईवे कहे जाने वाले इस पाप को समझदार मनुष्य जल्दी छोड़ दे अन्यथा गाड़ी गेरेज से निकलने के साथ ही नेशनल हाईवे नं. 1 पर चली जाएगी।
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