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A-का
A -ज
यथासमय उपयोग करें एवं निम्न 25 आवश्यक का भी ध्यान रखें ।
1.
B-य
C- त्ता
A - ज
C-व
A - जं
C-च
D-खामेमि
इन मुद्राओं के साथ इस सूत्र को बोलते समय खमासमण में बताई गई 17 प्रमार्जना का
25 आवश्यक -
2 अर्धावनत : इच्छामि खमासमणो ( वांदणा की शुरुआत) दोनों हाथ जोड़कर, आधा शीर्ष झुकाकर
बोलें।
12 आवर्त्त: दोनों वांदणा में अहो, कायं, काय एवं जत्ता भे, जवणि, ज्जं च भे बोलते समय हाथ को मुँहपत्ति पर एवं मस्तक पर लगाया जाता है। इसे आवर्त्त कहते हैं। दो वांदणा में कुल 12 आवर्त्त हुए। 4 शीर्षनमनः दोनों वांदणा में संफासं एवं खामेमि बोलते समय मस्तक गुरु चरण को स्पर्श करना चाहिए। दो वांदणे में कुल 4 शीर्ष नमन हुए।
तीन गुप्ति: मन, वचन, काया की गुप्ति रखना ।
दो प्रवेशः दोनों वांदणा में निसीहि बोलते एक कदम आगे आना। इस प्रकार दो वांदणे के 2 प्रवेश हुए
एक निष्क्रमण: पहले वांदणे में आवस्सहि बोलते समय बाहर निकलना ।
एक यथाजात मुद्राः जन्म के समय बालक की जो मुद्रा होती है, वैसी मुद्रा करना ।
इस प्रकार कुल 25 आवश्यक हैं।
सूत्र
अर्थ
मुँहपत्ति पडिलेहण करने की मुद्रा मुँहपत्ति के 50 बोल एवं उसकी पडिले हण के अनुसार चित्र सूचन
प्रथम पाशा देखते हुए
तत्त्व करी सद्दहुं
2. समकित मोहनीय
3.
4.
D-संफासं
B-भे
B- णिज्
B-भे
मिश्र मोहनीय
मिथ्यात्व मोहनीय परिहरुँ
A
B
घुमाकर दूसरा पाशा देखते हुए पुनः घुमाकर प्रथम पाशा देखते बायें हाथ से तीन बार
बायाँ पाशा खंखेरना ।
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