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छिन्नइ असुहं कम्म, तब तक वह अशुभ कर्म का "उच्छेद करता है। "सामाइय"जत्तिया "वारा ।।1।। "सामायिक "जितनी "बार होती है उतनी बार
(अशुभ कर्म का नाश होता है।) ।।1।। 'सामाइयंमि उ कए, 'सामायिक करने पर 'समणो 'इव सावओ हवइ जम्हा 'श्रावक साधु के समान होता है "एएण'कारणेणं,
इस कारण से "बहुसो सामाइयं "कुज्जा ।।2।। अनेक बार सामायिक "करनी चाहिए ।।2।। सामायिक विधि से लिया, विधि से पूर्ण किया, विधि करने में जो कोई अविधि हुई हो उन सबका मनवचन-काया से मिच्छामि दुक्कडं। दश मन के, दश वचन के, बार काया के ए बत्रीस दोष में जो कोई दोष लगा हो उन सबका मनवचन-काया से मिच्छामि दुक्कड़म्।
नवकारसी का पच्चक्वाण मर उग्गए सूरे, नमुक्कारसहिअं मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं
. सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ।। Mer चाउविहार-तिविहार का पच्चक्खाण हम
दिवसचरिमं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं..... तिविहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं
सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ।
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