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सभी प्रकार के कंदमूल (जमीनकंद) त्याग करे। * विश्व की सभी हरी वनस्पति में जितने जीव है, उससे बहुत ज्यादा जीव जमीनकंद के एक ही पीन पॉईन्ट में होते है। इसलिए जमीनकंद का त्याग करें। आलु, मूला, गाजर, लहसून, कांदा और शक्करकंद को अभक्ष्य और अनंतकायमाना गया है। * फ्लॉवर गोबी और गोबी के अंदर सूक्ष्म जीव छीपे हुए रहते है, इसलिए छोड़ना हितावह है। * मशरुम को भी अनंतकाय और अभक्ष्य माना गया है।
द्विदल त्याग * कच्चे दही, दूध और छाछ के साथ कठोल का भोजन करने से सूक्ष्म कीटाणु पैदा होते हैं, इसलिए दही, दूध और छाछ को गरम करके ही कठोल के साथ उपयोग में लेना चाहिए। * श्रीखंड के साथ दाल का उपयोग नहीं करना चाहिए। * दहीवड़े बनाते समय दही को गरम करने के बाद ही वड़े पर डालना चाहिए। * थेपला, ढोकला और कढ़ी बनाते समय छाछ को पहले गरम करना चाहिए।
बाज़ार में मिलने वाले सभी अचार अभक्ष्य होते है।
यदि अचार में पानी का अंश रह जाये तो वह कच्चा और अभक्ष्य माना जाता है। अचार को पक्का बनाने के लिए शक्कर की चासनी तीन तार वाली होनी चाहिए। अथवा तीन दिन तक कड़ी धूपदीजानी चाहिए।
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