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________________ ने गुरु को अचानक विहार करने का कारण पूछा ? कारण ज्ञात होने पर उन्हें विनंती कर विहार करने का मना किया एवं गाँव के लोगों को त्याग का महत्त्व बताने के लिए गाँव में ढींढोरा पिटवाया कि यहाँ पर रत्नों के तीन ढेर लगाये गए है। जो व्यक्ति अग्नि, स्त्री(पुरुष) एवं कच्चे पानी का आजीवन त्याग करेगा उसे ये देर भेंट दिए जायेंगे। लोगों की भीड़ लगी पर तीन में से एक भी वस्तु का त्याग करके रत्नों के ढेर को लेने के लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ। अभयकुमार ने कहा - "इन बाल मुनि ने इन तीनों का त्याग किया है। इसे यह राशि दी जाती है।" लेकिन बाल मुनि ने कहा- “ममत्व के द्वारा दुर्गति में धकेलने वाली यह रत्नराशि मुझे नहीं चाहिए।” तब लोगों को दीक्षा का महत्त्व पता चला कि इसने कितना महान कार्य किया है। फिर सब उसे पूजने लगे। इससे यह सिद्ध होता है कि जो त्याग करता है उसे सब पूजते हैं। । प्र.: ऐसे महान गुरु भगवंत को वंदन करने से क्या लाभ होता है? उ.: 1.अज्ञान रूपी अंधकार का नाश होता है। 2.नीच गोत्र का क्षय होता है। 3.अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 4.असंख्य भवों के पाप नाश होते हैं। 5.तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन होता है। 6.परमात्मा की आज्ञा का पालन होता है। मोक्ष का महत्त्व किसलिए? झगड़े अच्छे नहीं लगते - तो मोक्ष में कभी झगड़े नहीं होते। ठंडी अच्छी नहीं लगती -तो मोक्ष में कभी ठंडी नहीं होती। गरमी अच्छी नहीं लगती - तो मोक्ष में कभीगरमीनहीं होती। तकलीफ अच्छी नहीं लगती - तो मोक्ष में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं है। जुल्म अच्छे नहीं लगते - तो मोक्ष में किसी प्रकार के जुल्म नहीं है। भय अच्छा नहीं लगता - तो मोक्ष में किसी प्रकार का भय नहीं है। जो दु:ख आपको दु:खी करते है उनमें से एक भी दु:ख मोक्ष में नहीं है। फिर भी जो मोक्ष की महत्ता समझ में न आए तो इसके जैसी कमनसीबी दूसरी क्या हो सकती है? 020
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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