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मेरे गुरु अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर जो ले जाए, वे गुरु कहलाते हैं। प्रः सद्गुरु की पहचान क्या? उ.: जो पाँच महाव्रतों का अणिशुद्ध पालन करें, वे सद्गुरु कहलाते हैं। प्र.: पांच महाव्रतों के नाम बताकर उनकी व्याख्या बताओ? उ.: 1. सर्वथा जीव हिंसा नहीं करना।
2. सर्वथा झूठ नहीं बोलना। . 3. सर्वथा चोरी नहीं करनी। 4. सर्व प्रकार से ब्रह्मचर्य का पालन करना।
5. सर्वथा पैसे आदि नहीं रखना। (सर्वथा वस्तु के प्रति ममत्व भाव से रहित होना) 1. सर्वथा जीव-हिंसा नहीं करना- मात्र मच्छर, चींटि, लट, शंख आदि चलते-फिरते जीव ही नहीं बल्कि पृथ्वीकाय-नमक, मिट्टी आदि, अप्काय-कच्चा पानी, बरफ आदि, तेऊकाय-अग्नि, गैस, पंखा, इलेक्ट्रिसीटि आदि, वाऊकाय-पंखा आदि की हवा, वनस्पतिकाय -फल, फूल, सब्जी, हरियाली आदि त्रस-स्थावर किसी भी जीव की हिंसा नहीं करना। चाहे जितनी प्यास लगे फिर भी कच्चा पानी नहीं पीना, गर्मी लगे तो पंखा नहीं करना, जोरों की भूख लगी हो खाने को कुछ भी न मिले और सामने फलों का ढेर पड़ा हो फिर भी उसे लेकर नहीं खाना।' उदाहरण:- गजसुकुमाल मुनि के मस्तक पर अंगारे भरें। तब मुनि ने विचार किया... कि यदि मैं थोड़ा भी हिल गया तो ये अंगारे नीचे मिट्टी में गिरेंगे। जिससे अग्निकाय एवं पृथ्वीकाय दोनों की विराधना होगी। इस जीवदया के परिणाम से मुनि ने समभाव पूर्वक मस्तक को जलने दिया और वहीं उन्हें उत्कृष्ट भावों से केवलज्ञान हो गया। धन्य है मुनि की जीवदया को. 2.सर्वथा झूठ नहीं बोलना-मात्र धर्म संबंधी ही नहीं बल्कि कोई मारने आ जाए तो भी झूठ न बोलकर सत्य ही बोलना। उ. सर्वथा चोरी नहीं करना- रास्ते पर रही हुई मिट्टी लेनी हो तो भी उसके मालिक को पूछे बिना नहीं लेना। 4. सर्वथा ब्रह्मचर्य का पालन-साधु भगवंत को स्त्री का और साध्वीजी को पुरुष का स्पर्श नहीं करना।