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________________ अपने कुल के अनुरूप संस्कारों का निर्माण होता है। जिससे पारिवारिक व्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था सुदृढ़ बनती है। लड़के-लड़की की पसंदगी माँ-बाप अपने घराने को देखते हुए करे तो ही उभयपक्ष में हित है। क्योंकि माता-पिता की पसंदगी अनुभव के स्तर पर होती हैं। जबकि लड़के-लड़की की पसंदगी रूप एवं हाव-भाव के स्तर पर होती है, अत: तुम जो सोच रही हो और जो करने जा रही हो वह गलत है। इन नियमों का उल्लघंन करके जब लड़के-लड़की स्वेच्छा से अपना जीवन निर्णय करते है तो भविष्य में बहुत विकट समस्याएँ पैदा होती हैं। इस निर्णय का अंजाम तलाक, झगड़ें, अनबन, पियर से पैसे लाने के लिए मार-पीट आदि होते है। कहीं शादी के बाद लड़की जला दी जाती हैं। कहीं झगड़े चलने लगते है तो कई जगह इस प्रकार के लव मेरेज से प्राप्त संतानों की शादी के लिए बड़े प्रश्न खड़े हो जाते है । वे न इस समाज के रहते हैं न उस समाज के । डॉली - तो आप यही कहना चाहती है ना, कि मैं समीर को भूल जाऊँ। यह नामुमकिन है। मैंने समीर की जाति या उसके पैसे से प्यार नहीं किया है। मैंने सिर्फ समीर से प्यार किया है, और वो भी मुझसे बहुत प्यार करता है। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरा प्यार सच्चा है और समीर से शादी करने के बाद मैं बहुत ही खुश रहुँगी। आपने बताई ऐसी कोई तकलीफ मुझे नहीं आएगी। जयणा - डॉली ! किस प्यार की बात कर रही हो तुम? प्यार जैसी कोई चीज़ ही दुनिया में नहीं है। वास्तव में लड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे के बहकावें में आकर एक दूसरे के आकर्षण में उन्हें ऐसा पागलपन आ जाता है कि वे एक-दूसरे के लिए मानो जान भी देने के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ बनाव तुम्हारे साथ भी बना है। लेकिन डॉली जिंदगी मात्र दो... चार... घंटों का खेल नहीं है। इसे जीने के लिए मात्र दो व्यक्ति पर्याप्त नहीं है। लेकिन पैसे एवं समाज की भी जरुरत पड़ती है। जीवन में आने वाली कठिनाईयों की कल्पना किये बिना तुम प्रेम की गंदी गली में कूद रही हो । (इस प्रकार जयणा ने डॉली को बहुत समझाया पर डॉली मानने के लिए तैयार नहीं हुई। आखिर जयणा वहाँ से चली गई। जयणा के जाने के बाद डॉली जयणा की बातों पर सोचने के लिए मजबूर हो गई । उसे ऐसा महसूस होने लगा कि सचमुच वह जिस राह पर जा रही है वहाँ अंधेरा ही अंधेरा है। पर कुछ ही देर बाद डॉली फिर से समीर के ख्यालों में खो गई। उसे लगा कि अब वह समीर के बिना रह ही नहीं सकती, पर उसे क्या पता कि उसका यह पागलपन उसे किस राह पर खड़ा कर देगा ? इस तरफ भविष्य में डॉली सच में कहीं भाग न जाए इस डर से सुषमा और आदित्य जल्दी से जल्दी 147
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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