________________
होगा? मैं तो चाहती हूँ कि तुम भी मेरी तरह अपना कॅरियर बनाओ और उसकी कुछ चिंता करो। मोक्षा - आज तुम भले ही कॅरियर की बात करो लेकिन कॅरियर बनाने के चक्कर में तुम एक बहुत महत्त्वपूर्ण चीज़ भूल रही हो और वह है तुम्हारा केरेक्टर (चरित्र)। तुम्हारी तरह कॅरियर बनाने में मुझे अपने केरेक्टर (चरित्र) को भूलना पड़े तो ऐसे कॅरियर से तो घर बैठना ही अच्छा है। मेरे जीवन में कॅरियर तब ही मायने रखेगा जब उस कॅरियर में मेरा केरेक्टर (चरित्र) सलामत हो। सौ रूपये कमाने के लिए जो व्यक्ति अपने लाखों रूपये गँवा दे तो उसे तुम क्या कहोगी? मूर्ख ही ना। ठीक वैसे ही सौ रूपये की किमत वाले कॅरियर के लिए तुम लाखों रूपयों वाला महामूल्यवान अपना केरेक्टर (चरित्र) दाँव पर लगा रही हो। अपना कॅरियर बनाने के लिए जिस कॉलेज और आकर्षण को तुम महत्त्वपूर्ण मान रही हो वैसे आज की कॉलेज में क्या हो रहा है, उस बात से अनजान तुम भी नहीं हो और मैं भी नहीं। पढ़ाई के बदले मौज-मस्ती और जलसा करने की वह एक संस्था बन गई है। पुराने कॉलेजस् अनेक महान विद्वानों को जन्म देते थे, लेकिन आज-कल के कॉलेज तो व्यभिचारियों को जन्म देते हैं। आज कल की कॉलेज ज्ञान की संस्था के बदले अपने प्रेमियों को मिलने के लिए एक मिटिंग स्पॉट बन गया है। बेचारे माता-पिता पूरे विश्वास के साथ अपने बच्चों को पढ़ने के लिए कॉलेज भेजते है। लेकिन उनकी बिगड़ी हई औलादे कॉलेज के नाम पर Canteen, Libraries, Hotels, Theaters में अपनी Girl friends के साथ घूमने जाते हैं, और कॉलेज का वक्त पूरा होते ही घर पहुँच जाते हैं। इन्हीं कॉलेज की तुम बात कर रही हो ना कि जो कॅरियर बनाने में बहुत महत्त्वपूर्ण है। आजकल की कॉलेज में Character तो है ही नहीं और कॅरियर भी लगभग गायब हो चुका है। इसलिए मैं तो इतना ही कहूँगी कि अभी भी वक्त है संभल जाओ। डॉली- In short तुम इतना ही कहना चाहती हो ना कि स्त्रियों को अपना कॅरियर बनाने के विचार को सदा के लिए छोड़ देना चाहिए। यानि कि पुरुषों को अपना कॅरियर बनाने की कोई मनाई नहीं। उन्हें कहीं पर भी आने जाने की कोई मनाई नहीं और स्त्रियों को घर से बाहर भी नहीं निकलना। उसे अपना जीवन इस तरह व्यतीत करना कि उसके पड़ोस में भी किसी को पता न चले कि वह कब इस धरती पर आई और कब परलोक के लिए रवाना हो गई ? यानि Complete restriction? am IrightMoksha? मोक्षा - डॉली! तुम मेरी बात को समझने में थोड़ी-सी भूल कर रही हो। मैं तो तुम्हें यही समझाना चाहती हूँ कि जो वस्तु आकर्षक होने के साथ, कोमल और कमज़ोर हो उसकी देखभाल भी विशेष ध्यानपूर्वक करनी पड़ती है। तुमने काँच की प्लेट, कप, ग्लास आदि देखे तो है ही। वे दिखने में जितने आकर्षक लगते