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________________ प्रदर्शन कर ज़माने के साथ चले तो तुम्हें तकलीफ क्यों ? मोक्षा ! दुकान में ढेरों चीज़ें होती है लेकिन प्रशंसा उसी चीज़ की होती है जो आकर्षक हो। उसी प्रकार हमें तो बस इतना चाहिए कि जिस रास्ते से हम जाए वहाँ के सारे लोग, सारे लड़के हमारी प्रशंसा करें, और कोई हमारी प्रशंसा करे इसमें खतरा ही क्या है ? मोक्षा - जिस प्रकार रस भरे, पक्के पीले आम को देखते ही सब उसकी प्रशंसा करने लगते है, तो इस प्रशंसा से हमें यह समझ लेना चाहिए कि यह प्रशंसा उसे चूसने के लिए की जा रही है। वैसे ही तुम भी राह से ऐसे कपड़े पहनकर निकलो कोई तुम्हारी प्रशंसा करे, तो समझ लेना कि वह प्रशंसा तुम्हारी वास्तविक प्रशंसा नहीं परंतु उसके पीछे प्रशंसा करने वाले की गलत भावना छुपी होती है। जिसे तुम अभी तक समझ नहीं पाई हो और रही शो-ऑफ के ज़माने की बात, तो विद्वान और बलवान अपनी विद्वता और बल का प्रदर्शन करें तो उन्हें भविष्य में किसी प्रकार का खतरा उठाना नहीं पड़ता। श्रीमंत अपनी श्रीमंताई का प्रदर्शन करें तो हो सकता है कि उसे गुंड़ों और इन्कमटेक्स वालों का खतरा उठाना पड़े और कभी उनको लॉस भी हो सकता है, पर खोई हुई सम्पत्ति वापस मिल सकती है। लेकिन ज़माने के साथ कदम मिलाने की दृष्टि से यदि स्त्री भी • अपने रूप का प्रदर्शन करें तो उसे निश्चित ही खतरों का सामना करना पड़ेगा और इसमें जो लॉस होगा उसकी भरपाई उसके आँसू भी नहीं कर सकते। तुमने सुना ही होगा - If wealth is lost nothing is lost If health is lost, Something is lost But if character is lost everything is lost! तुम यह तो जानती ही होगी कि महाभारत में मात्र एक द्रौपदी का ही चीरहरण हुआ था। लेकिन आज की रिपोर्ट के अनुसार हर आधे घंटे में एक स्त्री का चीरहरण हो रहा है, यानि कि हर आधे घंटे में बलात्कार का केस हो रहा है। उसमें भी 80% बलात्कार की शिकार ऐसी लड़कियाँ होती है जिन्होंने कभी नज़र उठाकर किसी पुरुष को देखा भी नहीं होगा। लेकिन तुम्हारे जैसी लड़कियों की वेशभूषा से आकर्षित हुए लड़के अपनी वासना को शांत करने के लिए उन निर्दोष लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं। अब तुम ही बताओ डॉली इसमें गलती किसकी ? उन सीधी-सादी लड़कियों की या तुम जैसी लड़कियों की वेशभूषा की ? डॉली - - बस मोक्षा! चुप रहो। तुम्हारे इन लेक्चर का मुझ पर कोई असर होने वाला नहीं हैं। यदि हमारी सोच भी तुम्हारे जैसी होती तो आज दुनिया की हर स्त्रियाँ परदे के पीछे ही होती । स्त्रियों का कहीं नामोनिशान नहीं होता। मोक्षा! तुमने जलती अगरबत्ती और उसके धुएँ को तो देखा ही होगा। तुम इस बात से भी 137
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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