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सुषमा- क्यों बेटा? डॉली - मॉम मेरा होमवर्क नहीं हुआ है और टीचर मुझे पनीश करेगी। सुषमा - बस इतनी-सी बात। अरे! तुम कोई बहाना बना देना। जैसे कि... तुम्हारा पेट दु:ख रहा था या पॉवर कट गया था। डॉली - ओ.के. मॉम! यू आर ग्रेट! आप बहुत अच्छी है।
(जहाँ माँ संस्कारों की जननी कही जाती थी। वही माँ आज एक छोटे से कार्य को लेकर बच्चों में झूठ बोलने का बीज रोपण कर रही है। पर वह यह नहीं जानती कि उसका बोया हुआ यह बीज जब वटवृक्ष का रूप लेगा तब क्या रंग दिखायेगा। सच्चे अर्थ में कहा जाए तो आज माता-पिता स्वयं ही मौज-शौक में डूब चुके हैं।
___ बहुत कम ऐसे माता-पिता है जो बच्चों का, उनके भविष्य का ध्यान रखते हैं। आज के मातापिता को तो बच्चे भी बोझ लगते हैं। बच्चों की उपस्थिति में वे टी.वी. सीरियल मजे से नहीं देख पाते। ऐसे कितने ही माता-पिता है, जो बच्चों को नौकरों को सुपुर्द कर शॉपिंग, किटी पार्टी या व्यापार धंधे में व्यस्त हो जाते है। जब बच्चों को माता-पिता की आवश्यकता होती है तब माता-पिता से उन्हें प्यार और वात्सल्य नहीं मिलता। फिर बड़े होकर वे पुत्र-पुत्रियाँ, माता-पिता को नहीं चाहते इसमें उनका क्या दोष है ? आज धन कमाने की धून में और टी.वी. सीरियल्स देखने में माता-पिता ऐसे अंधे हो गये है कि वे अपने बच्चों को भी भूल गये है और ऐसा ही बर्ताव सुषमा ने डॉली के साथ किया, और इस तरफ....) जयणा- मोक्षा! तुम्हारी गाथा हो गई हो तो चलो तुम्हारा होम-वर्क देख लें। मोक्षा- मम्मी! आज के होम-वर्क में जो प्रोब्लम्स् है उसकी मेथड आपने मुझे पहले ही बता दी है। मैं अपने आप कर लूँगी। जयणा- ठीक है, मैं अंदर कपड़े प्रेस कर रही हूँ। कोई डॉऊट हो तो आ जाना। मोक्षा- ठीक है मम्मी। । (थोड़ी देर बाद मोक्षा मम्मी के पास गई।) मोक्षा- मम्मी, यह प्रोब्लम मुझसे सोल्व ही नहीं हो रहा है। जयणा - एक मिनिट हाँ बेटा। (जयणा प्रेस बंद करने लगी, इतने में मोक्षा के पापा आ गये।)