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________________ मेरी जुबानी मेरी कहानी. क्या आप जानते हो मेरी आंखे किसने फोड़ी... ? नहीं... तो आओ मेरे साथ और देखो कि कितना जुल्म किया जाता है मेरे साथ। मात्र आपके शौक के लिए मुझे अंधा कर दिया जाता है। वह भी इतनी बेरहमी से..... मुझ जैसे अबोल जानवर का सिर एक शिकंजे में जकड़ दिया जाता है। धातु के एक क्लीप से मेरी आंखे खुली रख दी जाती है। फिर सिर धोने के शेम्पू की एक-एक बूंद मेरी आंख में टपकायी जाती है। शेम्पू के कारण मेरी आंखों में भयानक जलन होने लगती है। और उससे मेरे मुंह से चीत्कार निकलनी शुरु हो जाती है। उस भयानक पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए मैं उस शिकंजे से छुटने की कोशिश करता हूँ लेकिन मैं उस शिकंजे में इस प्रकार जकड़ा हुआ रहता हूँ कि मेरी कमर टूट जाती है लेकिन मैं अपने आप को छुड़ाने में असमर्थ पाता हूँ । मेरी आंखों से अविरत आंसू बहते रहते है लेकिन कोई भी मेरे आंसू पोंछने में समर्थ नहीं होते और आखिर में मैं अंधा हो जाता हूँ और अंधा होने के कारण मैं शीघ्र ही मर जाता हूँ। हे मानव ! तू मात्र अपने इतने छोटे से शौक के लिए मेरी जान क्यों लेता है ? माना अब तक तू नहीं जानता था लेकिन अब जानने के बाद तो मेरी हिंसा से बने इस शेम्पू का त्याग करोगे ना ? खरगोश कितना प्यारा, कितना स्नेहिल और भोला जीव है और मानव तू इतना क्रूर...! CLINIC ALL CLEAR me ACTIVSPORT SoAc ... Clinic ALL CLEAR
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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