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श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः
किसी ने इस कार्य, इसके उद्देश्य को सफल बनाने के लिए जाप किये, तो किसी ने कार्य कर रहे महात्माओं की वैयावच्च का लाभ लिया। इस प्रकार पूरा परिवार इस कार्य में लगा रहा। इस प्यारे-प्यारे परिवार के समर्पण भरे इस सहयोग को मैं अंतर हृदय से बधाती हैं।
पू. भुवनभानु सूरि समुदाय के पू. उपकारी आचार्य भ. अभयशेखर सूरि म.सा. एवं पू. आचार्य अजितशेखर सूरि म.सा. ने इस पूरे कोर्स का सूक्ष्मता से निरीक्षण कर यथायोग्य सूचनाओं के साथ सुंदर संशोधन एवं आशीर्वचन प्रदान कर मुझ पर महती कृपा की है। अत: मैं अंतरहृदय से पू. गुरुभगवंतों के प्रति नतमस्तक हूँ।
पद्म-नंदी (गिरीश टी. मेहता, सुमी बेन) ने भी इस भगीरथ कार्य के लिए शंखेश्वर दादा के कई अभिषेक, प्रार्थनाएँ आदि की। इन पुस्तकों के मुद्रक कंचन ग्राफिक्स, राजगढ़ (मोहनखेड़ा) के अमित जैन ने भी पूर्ण समर्पण भाव से हम जहाँ रहे वहाँ 20-20 दिन तक रहकर इन पुस्तकों का प्रिंटींग कार्य शीघ्र करने में सहयोग प्रदान किया। अत: धन्यवाद!
इन पुस्तकों के लेखन में जिन-जिन पुस्तकों का आधार लिया गया है तथा जो-जो पुस्तक प्रत्यक्ष, परोक्ष रूप से इस लेखन कार्य में उपयुक्त हुई तथा जिन-जिन पुस्तकों में से चित्र आदि लिये गये उन सबका मैं अंतर हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ।
इन पुस्तकों के लेखन में काफी सावधानी एवं उपयोग रखा गया है, फिर भी वीतराग की आज्ञा के विरुद्ध कुछ लिखा गया हो तो त्रिविधे-त्रिविधे मिच्छामि दुक्कड़म्!
अत: मैं देव-गुरु की कृपा से निर्मित यह कोर्स विश्व व्यापी बन सर्व जीवों को मोक्ष प्रदान करें यही शुभेच्छा। शुभम् भवतु श्री श्रमण प्रधान चतुर्विध श्री संघस्य
सा. मणिप्रभाश्री ता. 5/4/2010, सोमवार
भीनमाल