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के साहचर्य के सन्दर्भो के कारण, उनके नायकत्व के माधुर्य-स्वरूप का शनैःशनैः विकास एवं विस्तार होता गया है । ललित काव्यों एवं उनकी परम्परा पर लिखी गई हिन्दी काव्य-कृतियों में कृष्ण के इसी ललित-मधुर शृंगारिक व्यक्तित्व को उत्तरोत्तर प्रधानता प्राप्त होती गई है और कृष्ण का वीर राजपुरुष का व्यक्तित्व वर्णन की दृष्टि से गौण होता गया है । अबलत्ता इसमें कथा-पुराण-वाचकों एवं भावुक भक्तों का भी योग है । जैन साहित्यिक कृतियों में यह स्थिति नहीं है । वहाँ कृष्ण के वीर राजपुरुष के स्वरूप का वर्णन ही प्रमुख रहा है। कोई भी व्यक्ति यदि पक्का राजनीतिज्ञ हो और धर्मात्मा भी हो तब उस व्यक्ति का स्वरूप कैसा होगा ? यह बात जानने के लिए श्रीकृष्ण का जैन साहित्य में वर्णित स्वरूप एक उत्तम उदाहरग है । भागवत तथा महाभारत के कृष्ण की तुलना में जैन साहित्य में वर्णित कृष्ण का स्वरूप अधिक न्यायपूर्ण तथा तर्कसंगत है । जैन साहित्य में कृष्ण के कपट, तथा झूठ को भी जैन दृष्टि से तर्कसंगत तथा सत्य माना जा सकता है, जबकि वैदिक दृष्टि से ऐसा प्रतीत नहीं होता। .
प्रस्तुत ग्रन्थ तुलनात्मक शोध के क्षेत्र में एक नवीन और हरी-भरी पगडण्डी की ओर संकेत करता है । इस क्षेत्र में अद्यवधि अनेक सम्भावनाओं के लिए अवकाश है । इससे ज्ञान-पिपासा बुझती नहीं, वरन् और अधिक बढ़ती है, जिसके परिणाम-स्वरूप हमारे समक्ष नये हीरे-मोती अपनी आभा दिखाते हैं। उनसे हमारी राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक एकतादेवी का स्वर्ण-किरीट जगमगा उठता है । यह कहने में कोई आपत्ति नहीं है कि प्रस्तुत ग्रन्थ इस दिशा में एक छोटा-सा, संतुलित और विधेयात्मक प्रयास है । आशा है, विद्वज्जन इसका स्वागत करेंगे।
शोध एक यात्रा की समाप्ति नहीं, वरन् दुर्गम पथ पर अग्रसर होने और सरस्वती की आराधना में तत्पर होने का उत्क्रम है। कृतज्ञता-ज्ञापन
“हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप विकास विषयक मेरे इस अध्ययन एवं चिन्तन को मूर्त रूप प्रदान करने में जिन महापुरुषो, विचारको, लेखकों, गुरुजनों एवं मित्रों का सहयोग रहा है उन सबके प्रति आभार प्रदर्शित करना मैं अपना पुनीत कर्तव्य समझती हूँ।
आदरणीय पंडितवर्य, आगमवेत्ता, महामनीषी उदारमना पद्म भूषण प्रो. दलसुखभाई मालवणियाजी की प्रेरणा और मार्गदर्शन के बिना यह कार्य असम्भव था। उनके ऋण का उल्लेख मात्र करती हूँ क्योंकि मेरी इच्छा है कि मै सदैव
हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास • v