SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६ दान : अमृतमयी परंपरा या स्वभाव के विपरीत हिंसादि दुष्कर्म करते रहते हैं । स्वार्थत्याग के बदले अति-स्वार्थ में फँसे हैं। यह तो हम प्रारम्भ में स्पष्ट कर आये हैं कि मानव-जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष है । मोक्ष का स्वरूप भी लगभग स्पष्ट है कि समस्त विकारों, कर्मों एवं वासनाओं से रहित हो जाना, कर्म और कर्मबंध के कारणों का पूर्ण अभाव हो जाना, सभी सांसारिक झमेलों से दूर हो जाना मोक्ष है। अब प्रश्न यह है कि उस परम लक्ष्य मोक्ष के प्राप्त करने के उपाय कौन-कौन से हैं ? मोक्ष-प्राप्ति के साधन कौन-कौन से हैं? मानव-जीवन का लक्ष्य मोक्ष-प्राप्ति मानव जीवन यह एक उत्तम अवस्था है। इसलिए कार्य भी उत्तम होना चाहिए । सर्वोत्तम कर्त्तव्य मोक्ष-प्राप्ति(मुक्ति) है। इस बात को अल्पाधिक रूप में सभी दर्शनकारों ने स्वीकार किया है। सविशेष जिनेश्वर भगवंतों ने आत्म स्वरूप की प्राप्ति - यह जीवन का लक्ष्य बताया है। सम्पूर्ण रूप से "आत्म स्वरूप की प्राप्ति" इस जीवन में संभव नहीं है। अपेक्षित सामग्री मिलने पर दूसरे जन्म में प्राप्त होगी। लेकिन वर्तमान जीवन का लक्ष्य बिन्दु "आत्म स्वरूप का अनुभव करना" रखना है । दर्शन, पूजन से लगाकर संयम जीवन तक की सभी धर्म प्रवृत्ति का लक्ष्यांक 'आत्मा का अनुभव करना' यह है। प्रश्न उठता है कि वह लक्ष्य किसलिए रखना चाहिए? क्योंकि जीवन की पाँच मुख्य इच्छाएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं - जीवन की पाँच इच्छाएँ : . (१) जीव की पहली इच्छा जीवित रहने की है - सौ वर्ष की उम्र हो गई हो फिर भी मनुष्य थोड़ा और ज्यादा जीने का प्रयत्न करता है। देवलोक में पल्योपम और सागरोपम के आयुष्य होते हैं, फिर भी मृत्यु अच्छी नहीं लगती। सबसे ज्यादा आयुष्य अनुत्तरविमानवासी देवों का होता है, लेकिन वहाँ भी मृत्यु तो आती ही है। जीव की सबसे प्रबल इच्छा 'जीने' की है, लेकिन वह कभी पूरी नहीं होती है । मृत्यु कभी नहीं आए और शाश्वत जीवन मिले इसके
SR No.002432
Book TitleDan Amrutmayi Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy