SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इन सभी का विस्तृत समाधान विभिन्न आयामों में क्या है शास्त्रकारों की दृष्टि में दान ? क्या है दान देने के लिए पात्र का स्वरूप ? ऐसी कई जिज्ञासाएं जिज्ञासुमुमुक्षु को होना सम्भव है । 11 विद्याव्यासंगी प्रीतमबेन एस. सिंघवी की ओर से प्रस्तुत पुस्तक में प्रस्तुत हो रहा है ! समयाभावसें पुस्तक तो मैं पूरा देख नहीं पाया हूँ मगर आशा अवश्य है कि कच्छ जिज्ञासु इस पुस्तक से अपनी जिज्ञासा को अवश्य उपशान्त कर सकेंगे । प्रान्ते, दान की यह प्रस्तुति जो कि दानकी स्तुतिरूप ही है वह, सभी भव्यजीवों के भीतर फाल्गुन शुक्ला पंचमी २७-२-२०१२ सोमवार सामखीयाली करुणा की खुश्बु को प्रसारित करें यही शुभकामना के साथ लि. आचार्य विजयभुवनभानुसूरीश्वर प्रशिष्य पंन्यास यशोविजय
SR No.002432
Book TitleDan Amrutmayi Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy