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गुजरात विभाग ४ राजकोट जिला
मूलनायक जी
यहाँ पर प्रभुजी सामने से पधारे पालीयाद के श्रावक को स्वप्न आया कि पटेल के खेत में यह प्रतिमा है। बहाने प्रतिमाजी लेकर वीछिया आ गया। इस प्रकार यह प्रतिमा प्राप्त हुई है। १२८ वर्ष पुराना मंदिर है। प्रतिष्ठा दिन जेठ सुद १० था। जीर्णोद्धार कराकर २०४१ में जेठ सुद ११ को पु. आ. श्री 'विजय नीति प्रभ सू. म. की निश्रा में प्रतिष्ठा करायी है। उनकी यह जन्मभूमि थी और यहाँ पर ही स्वर्गवास प्राप्त किया है। देरी में उनकी मूर्ति स्थापित की है।
श्री शान्तिनाथजी
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मूलनायक श्री विमलनाथजी
हालार देशोद्धारक पू. आ. श्री विजय अमृत सूरिजी म. यहाँ पर २०२२ फागण सुद १० को कालधर्म को प्राप्त हुए स्टेशन रोड ऊपर जवेरी जीन के सामने के प्लॉट में अग्नि संस्कार हुआ। वहाँ पर गुरु मंदिर बनवाकर चरणपादुकायें स्थापित की हैं। उनकी प्रतिष्ठा २०४० कार्तिक वदी ११ को पू. आ. विजय जिनेन्द्र सू. म. की निश्रा में हुई हैं। राजकोट से ६० और बोटाद मे ३४ कि.मी. है।
६. पडधरी
मूलनायक जी श्री विमलनाथजी
यह नूतन मंदिर श्री दीपचन्द भाई गार्डीजी ने बनवाया है।
मंदिर की प्रतिष्ठा विक्रम सं. २०३८ माघसुदी १०. पू. आ. श्री विनयचन्द्र सूरिजी म. की निश्रा में हुई है। यहाँ पर एक प्राचीन मंदिर खंडित हैं। बि. सं. १६६४ माघ सुदी १० शनिवार को प्रतिष्ठा हुई है। उसके दरबार के गढ़ में अवशेष हैं। श्री रत्न चन्द्र गणि कृत पडधरी प्रासाद बिम्ब प्रवेशाधिकार स्तवन में से जानने को मिलता हैं कि, इस मंदिर का शिलान्यास वि.सं. १६६१ मा. व २ बुधवार को हुआ था। इस प्राचीन मंदिर का नाश किस प्रकार हुआ वह जानने में नहीं आता हैं।
पडधरी जैन मंदिर
ऊपर के स्तवन में ऐसा भी उल्लेख हैं कि कच्छ का जामरावल उसके प्रधान वणिक पेथराज थे। उनके दैवी संकेत हुआ और जामरावल से उनको हालार देश में लाये। वि. सं. १५५६ श्रा. व.८ को जामनगर बसाया। उन पेथराज के परिवार में आनंद एवं अबजी धर्मप्रेमी थे और पू. आ. श्री विजयसेन सूरिजी के उपदेश से आनंदजी के पुत्र मेघराज ने पडधरी गाँव में मंदिर बनवाया। जामनगर में भी आदिनाथ आदि भगवन्तों का ४२ गज ऊँचा २१ गज चौड़ा भव्य जिनालय बनवाया।
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