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गुजरात विभाग : २ - जुनागढ जिला DDDDDDDDDDDDDDDDDDA
१०. देलवाडा तीर्थ (उना)
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मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी
देलवाड़ा जैन देरासरजी
मूलनायक - श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जी
श्वेतवर्ण पद्मासनस्थ ३८ से.मी. प्रतिष्ठा कब हुई इसका उल्लेख मिलता नहीं हैं। परन्तु बहुत ही प्राचीन तीर्थ कहलाता हैं। मंदिर पर आगासी है। शिखर नहीं है। १०० वर्ष प्राचीन कहलाता हैं। अजाहरा पंचतीर्थी का तीर्थ है। यहाँ पर उपाश्रय है। जैनियों के घर नहीं है। यहाँ पर यात्रियों को भोजन करने की व्यवस्था है।
११. उना
मूलनायक श्री आदिनाथजी
जानी जाती है। इस जमीन में विशाल बगीचा है। उसको शाही बाग भी कहा पद्मासनस्थ, पीतवर्ण ७६ से.मी.
जाता ऊना शहर का प्राचीन नाम उन्नतपुर था । बहुत प्राचीन स्थल है।इस
है। इस स्थान में अनेक बार चमत्कार हुए हैं। गुरुदेव की इच्छानुसार एकबर मंदिर का निर्माण सम्प्रति काल का माना जाता है। 'तीर्थमाला' नाम की ने बहुत फरमान भी किये हैं। इसके मंदिर के पास ही दूसरे पाँच मंदिर हैं। एक १४वि सदी की पुस्तक में उल्लेख है। १६५२ में जिसने अकबर को बोध किया उपाश्रय है। दादावाड़ी में गुरुदेव के समाधि मंदिर पर छत्री बाँधी है। वहाँ पर था वे पू. आ. श्री विजयहीर सूरि महा. ने यहाँ पर कामधर्म को पाया था। एक उनकी और उनके पट्टधर की चरण पादुकायें हैं। ऊना से १ कि.मी. दूर है। समय धन धान्य से भरपूर विशाल नगर था। यहाँ पर ७०० जैन पोषधशालायें यहाँ के चौथे जिन मंदिर में संप्रति राजा की भराई हुई पार्श्वनाथ भगवान थी। वे भूतकाल की समृद्धि का ख्याल प्रदान करती हैं।
की प्रतिमा दिव्य तेजवाली है। सभी प्रतिमायें सुन्दर हैं। संवत २०३५ में सौराष्ट्र की अजाहरा पंचतीर्थों में से एक तीर्थ हैं। यहाँ पर दो भोयरे हैं। जीर्णोद्धार हुआ है। एक में श्री आदिनाथ दादा और दूसरे में अमीझरा पार्श्वनाथ प्रतिमा है। ___ यहाँ पर जैनियों के ५० घर हैं। ऊना रेल्वे स्टेशन है तथा सौराष्ट्र गुजरात __कहा जाता है कि अनेक समय यहाँ पर अमृत के छीटे होते हैं। एक सफेद में बस मार्ग से जुड़ा हुआ है। ऊना बस स्टेन्ड तीर्थ के समीप में है। रहने के मूछों वाला बुवा सर्प प्रभुजी की प्रतिमा पर फण का छत्र करके बैठता है। लिए धर्मशाला है। जूनागढ़ से कोडीनार होकर ऊना जाया जाता है। पूज्य हीरसूरिजी म. की अन्तिम क्रिया हुई थी उस १०० वीघा जमीन को श्री अजाहरा पार्श्वनाथ पंचतीर्थ जैन कारखाना अकबर सम्राट ने संघ को भेंट प्रदान की थी जो आज दादावाडी के नाम से मु. ऊना, जिला- जूनागढ़, पिन-३६२५६० SSSSSSSSSS