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________________ गुजरात विभाग : २ - जुनागढ जिला देख्यो जिनजीनो देदार, मारो सफलथयो अवतार एक तूं ही छे आधार, मेरे यार-यार-यार-१ रत्नत्रयीनो भंडार तारा गुणोंनो नहि पार गुणी गुणो जाणनार, आपो सार-सार-सार-२ काम क्रोधादि हणनार, साचो ने ते नर सरदार तने जे पूजे अपार पामे पार-पार-पार - ३ तारी वाणी मनोहार टाले दूरित अपार रोक शोक टालनार, सेवू वार-वार-वार -४ तारा चरणों नो आधार मने उतारे भव पार नाम तारक धरनार मोहे तार-तार-तार-५ बुद्धि आणंद अपार, आपो लब्धि अमृत प्यार मांगु सेवा एक सार, अरजी धार-धार-धार-६ -मेरू तीर्थ की रचना ६. वेरावल (वेलाकुल पाटण) मूलनायक श्री सुमतिनाथजी मूलनायक-श्री सुमतिनाथजी यहाँ पर तीन देरासर हैं। मायला कोट में एक शिखरबन्दी प्राचीन देरासर है, प्रतिष्ठा वि. सं. १८८७ में हुई हैं, जीर्णोद्धार संवत १९९९ में हुआ हैं। ऊपर चौमुखजी हैं। तीन गर्भगृहों वाला देरासरजी है। श्री बहारकोट चिन्तामणि पार्श्वनाथ देरासर सोनी बाजार में हैं। वेरावल जैन देरासरजी श्री बम्बईवाला देवीदास सेठ द्वारा निर्मित जैन देरासर शिक्षक सोसायटी में हैं। यहाँ पर जैनियों के वर्तमान में २०० घर हैं। उपाश्रय तीनो ही देरासर के पास में हैं। राजकोट वेरावल रेल्वे मार्ग पर एवं बस के मार्ग से आ सकते हैं। | ___इस ग्रन्थ के सम्पादक की यहाँ पर २०१० में दीक्षा हुई हैं। TRE
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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