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राजस्थान विभाग : १३ नागोर जिला
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३. मेडता रोड
मेडता रोड जैन देरासरजी
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उस स्थान पर पहुंचे और जहाँ गाय का दूध झरता था । उसकी नीचे की जमीन खूदवाई तो देरी सहित सात फणा मंडित भगवान श्री पार्श्वनाथजी की मूर्ति निकली । दोनों श्रावक उत्साह पूर्वक पूजन करने लगे थोडे दिनों के बाद अधिष्ठायक देवने श्री धांधल शेठ को कहा तुम इस स्थान में मंदिर बनाओ यह सुनकर दोनों ने यह मंदिर का निर्माण कार्य उत्साह पूर्वक शुरु किया । जब अग्र मंडप बन चुका था । तब पैसों के अभाव से कार्य को स्क देना
पड़ा । श्रावक दुःखी हुए तब फीर से भगवान ने प्रगट होकर मूलनायक श्री फलवृद्धि पार्श्वनाथजी
स्वप्न में कहा कि जब सुबह में कौआ बोले उस समय भगवान के मूलनायक श्री फलवृद्धि पार्श्वनाथजी
पास सोनामहोर का स्वस्तिक हररोज तुम्हें दिखाई देगा । उसे समृद्धि से भरा हुआ यह नगर कालक्रम अनुसार नष्ठ हुआ।
लेकर मंदिर का कार्य पूर्ण करना, पर यह बात कीसी को भी यह नगर में श्री माल वंश के उत्तम और धर्मी लोगों में धांधल
करना मत । शेठ ने ऐसा ही किया । पाँच मंडप पूर्ण हो गये एक और शिवंकर नाम के श्रेष्ठी रहते थे उनके पास बहुत सारी गायें समय शेठ का लड़का छुपकर शेठ को सोनामहोर के स्वस्तिक लेते थी । जीसमें अभी अभी ब्याही थी ऐसी एक गाय जो जंगल में
देख लिया तबसे सोनामहोर का स्वस्तिक बंध हो गया और तब चरकर आ रही थी तब सायंकाल को दूध नहीं देती थी । धांधल से यह मंदिर अपूर्ण रह गया । ईसके बाद सं. ११८१ में आ. शेठ ने सायंकाल में यह गाय दूध क्यों नहीं देती ऐसा पूछा तब श्री धर्मघोष सू. म. यहाँ पधारे उन्होंने संघ को उपदेश दिया और ग्वाले ने सच बात कही में दूध नहीं दोहता पर तलाश करंगा एक कार्य पूर्ण हुआ । सं. ११८१ में मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान की दफा ग्वाले ने देखा की टींबे के पर बोरड़ी के झाड़ के पास आ । प्रतिष्ठा करवाई थी। कर गाय खड़ी रहती है । तब चारों स्तनोंमें से दूध झर जाता है | यह उपर की विगत का लेख मूलनायक श्री पार्श्वनाथ की दूसरे दिन ग्वाले ने शेठ से बात की । धांधल शेठ ने सोचा की पीछे भमति में है । उपरोक्त जानकारी हमें इसमें मिली है । यहाँ अवश्य ही कोई देवता की मूर्ति होनी चाहिए। यह सोचते रंगमंडप बड़ा है । भमति में बहोतसे तीर्थो के पट्ट है । जो देखने सोचते धांधल शेठ सो गये । रात्रि को अधिष्ठायक देवने स्वप्न में लायक है । वहाँ १०८ जिनमंदिर थे । इस देरासर बनानेवाले यहाँ कहा कि जहां दूध झरता है वहाँ देरी में सात फणावाली भगवान के राजा उत्पलदेव, पुत्र प्रतापसिंह और मंत्री उदडदेव था गाँवका श्री पार्श्वनाथजी की देवाधिष्ठित प्रतिमा बिराजमान है । उसे तुम नाम उपकेशनगर था । सावधानी पूर्वक खोदकर बाहर निकालकर पूजा कर । स्वपन की मेडता रोड तीर्थ स्टेशन से २०० मीटर के अंतर पर है । यह बात उसने अपने पुत्र शुभंकर को कही तब वे दोनों साथ में जिला नागोर, फूलवर्दी पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट ।
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