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राजस्थान विभाग : १२ बिकानेर जिला
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मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
पेढ़ी है । सं. १५७१ आषाढ सुद २ के दिन यहाँ प्रतिष्ठा १ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर ५०० साल संपन्न हुई थी । दूसरी मंझिल पर चौमुखजी तीसरे मंझिल पर पूराना है। २ श्री शांतिनाथजी । ३ श्री वासुपूज्य स्वामी। भी चौमुखजी है। कंपाउन्ड में सीमंधर स्वामी का पूराना ४ श्री महावीर स्वामी । ५ श्री सुपार्श्वनाथजी । ६ श्री देरासरजी है । प्रतिष्ठा संवत १८८७ में संपन्न हुई थी । पार्श्वनाथजी । ७ श्री पद्मप्रभुजी मंदिर है।
पार्श्वनाथ दाहिने ओर और शांतिनाथजी बाँये ओर है । यह भी श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा सं. १५६१ आषाढ गर्भगृह में रंगीन काच से जड़े हुई है। सुद नवमी के दिन संपन्न हुई थी।
२ श्री आदीश्वरजीका शिखरबंध देरासरजी है । मूर्ति के १ श्री शांतिनाथजी का घर देरासरजी यह गंबजवाले नीचे स. १६६२ का लेख है। उपाश्रय में है । सं. २०२३ में यहाँ प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। ३ श्री नेमनाथजी प्रतिमाजी का मंदिर प्राचीन और विशाल
२ बडा मंदिर श्री अजितनाथजी का जो गंबजवाला है है । उतुंग शिखरवाला है | जीसमें रंगीन नक्कासी भी है । यह भांडासरजी का यह मंदिर सब से बड़ा कोयरडा जैसा है। निकट मंदिर सं. १५७२ के बाद हुआ है। में नेमिनाथजी का मंदिर है।
४ श्री महावीर स्वामी की आरस की मूर्ति पर सुवर्णका लेप ३ विमलनाथजी का गुंबजवाला मंदिर है ।
है । प्राचीन दिखता है । दाहिने और संप्रति के समय के प्रभुजी ४ श्री पार्श्वनाथजीका गुंबजवाला मंदिर है।
है । बाजु में बाँये ओर आरस के पंचतीर्थी प्राचीन है। मंदिर के ५ श्री ऋषभदेवजीका गुंबजवाला मंदिर है।
चारों कोने में चार गुंबजवाली देरीयाँ है, जीस में प्राचीन नीचे के छ (६) मंदिर कोचर कुटुंब के २०० साल पूराना है।
अर्वाचीन प्रतिमाजी है।
" .१ श्री सुमतिनाथजी का चौमुख देरासरजी बिकानेर में सब
५ श्री शांतिनाथजी के मंदिर में तीन गर्भगृह हैं और से बड़ा तीन मंझिलवाला है। जो प्राचीन विशाल और गुबजबध है। प्रभावशाली है । भांडासरजी ने यह देरासर बनाया था । भव्य ६ श्री अजितनाथजी का मंदिर अति प्राचीन है और भी कला और नक्कासी - रंग बिरंगी रंगो से अति मोहक दिखाई नये और पूराने प्रभुजी है । धातु के एक आदीनाथजी की देता है । विशाल रंगमंडप और कलायुक्त चौमुखजी के बिलकुल आजुबाजु में आरस के प्रभुजी है जो प्राचीन है। यह मंदिर भी नीचे एक आरस की मूर्ति है । गर्भगृह में कलायुक्त काच में पूराना घर देरासर है । जो पार्श्वनाथ चिंतामणि पहले का है। जड़ा हुआ हीरा माणेक जैसा दिखता है। गर्भगृह के बहार चारों प्राचीन मंदिर की निकट में विमलनाथ का मंदिर है और उनकी
ओर २४ काउस्सग्गिया में प्रभुजी रंगीन दिखाई देते है। ८० बाँये और प्राचीन प्रभुजी है । दाहिने ओर विमलनाथजी साथ है। साल पहले चढाये हुए रंग आज भी नये जैसे लगते है । दर्शन बिकानेर में नाहटा परिवार द्वारा शास्त्रो का संशोधन और करने योग्य हैं। पुजारी गोपाल सेवकजी की यह १५ वीं हस्त प्रतों का संग्रह हुआ है । बिकानेर शहर बड़ा है।