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कानमां कानमां कानमां, तारी कीर्ति सुणी में कानमां घडी घडी मेरे दीलथी न वीसरे,
चित्त लाग्युं तुज ध्यानमां तारी ०२ प्रतिहारज आठ अनोपम, सेवा करे ओक तानमां. तारी ०३ वाणी अतिशय पांत्रीश राजे, वरसे समक्ति दानमां. तुम सम देव अवर नहि दुजो, अवनितल आसमानमां देखी देदार परम सुख पायो, मगन भयो तुम ज्ञानमां वामानंदन पास पंचासर, प्रगट सकल म्हानमां. जिनउत्तम पदशुं रंग लाग्यो, चोळ मजीठ ध्यानमां
जयति शब्द
तारी ०४
तारी ०५
तारी ०६
तारी ०७
तारी ०८
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
भोपाल सागर तीर्थ जैन देरासरजी
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मुलनायक श्री करेड़ा पार्श्वनाथजी
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