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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
मूलनायक श्री आदीश्वरजी यहाँ पांच मंदिर है।
का लेख बावन देरी की निशानी हो ऐसा मालूम होता है। (१) मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी प्राचीन है । सं. १५८५ है। श्री मंदिरेश्वर सू. म. ने प्रतिष्ठा की थी इनके अवशेष आज भी दूसरा पढ़ा नहीं जाता । (२) श्री पार्श्वनाथजी मूलनायक है जीसमें मौजुद है । देरासर के पीछे पूर्व भागमें कंपाउन्ड में भमति में एक बड़े पार्श्वनाथजी जो वाघजी सूरा गुढका परिवार द्वारा बिठाये भूयहरे में से दो खंडित मूर्तियाँ निकाली है। ज्यादा होने का संभव गये हैं । जीसमें धातुका भव्य और किंमति परिकर है । पू. जिनेन्द्र है। ५ आदीश्वरजी-३ सं. १५४८ का लेख है । यह प्राचीन है। सू.म. के वरद् हस्तों से अंजन शलाका हुई थी । यहाँ और रंगमंडप में पादुकाएं है । सं. १७३१ दिखाई देती है । पादुकाएं ऋषभदेवजी में सं. २००६ में जिर्णोद्धार हुआ था । मंदिर प्रतिमा श्री विजय देव सू.म. और विजयप्रभ सूरी म. आदि की है । सं.
और पादुकाएं १८५८ के समय की प्राचीन है । पुराना लेख नहीं २००६ में जिर्णोद्धार हुआ था । पंचधातुकी प्रतिमा में सं. १६०३ मिलता । वीर सं. २४५९ है । ३ श्री मल्लीनाथजी की प्रतिमा का लेख है । पू. आ. श्री जिनेन्द्र सू.म. द्वारा प्रतिष्ठा संपन्न हुई
प्राचीन है - ४ श्री शांतिनाथजी -३ प्राचीन प्रतिमाजी है सं. थी। ईस बाजु के अनेक देरासरों का जिर्णोद्धार उनके उपदेश और ११९८५ में ईसका जिर्णोद्धार हुआ था । सं. १३०३ वैशाख वद ५ मार्गदर्शन से हुआ है और भी होना चालु है ।
११. केलवा
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
केलवा जैन देरासरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यहाँ बावन जिनालय है । रंगमंडपमें काउस्सग्गिया प्रभुजी है । श्री सं. १६९४ में मूलनायक श्री शांतिनाथजी का शिखरबंध गोडीजी पार्श्वनाथजी-१ में सं. १२१६ का लेख है । यहाँ देरासर बना । मूलनायक श्री शांतिनाथजी राजा सांप्रति के समय चंद्रप्रभुस्वामी मंदिर में तेरापंथी भिक्षा के फोटोग्राफ है और मंदिर के हैं । एक मूर्तिपूजक जैन द्वारा नित्य पूजा होती है बाकी सब में दानपेटी भी है। यह माहिती यति. श्री माधवलाल महात्मा के तेरापंथी है । उनके १०० घर है । दूसरा देरासर श्री द्वारा मिली है । चंद्रप्रभुस्वामी-१ मूलनायक प्राचीन है और सांप्रति के समयके है।
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