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________________ राजस्थान विभाग : २ पाली जिला श्री आदिश्वरजी मूलनायक श्री आदीश्वरजी २५. तखतगढ मूलनायक श्री आदीश्वरजी ९० साल श्री आदीश्वरजी ९० साल पहले पूराने देरासर में प्रतिष्ठित थे । बाद में जब नया देरासर हुआ तब वहाँ प्रतिष्ठिा पहले जोधपुर के लाल पथ्थर की मूर्ति पूराने देरासर में थी २ घर देरासर और ५ शिखरबंध देरासर है। दूसरा श्री आदीश्वरजी का शिखरबंध बड़ा देरासर है। जीसमें मूलनायक राजा संप्रति के समय के हैं । जीसमें दाहिने ओर गर्भगृह के गोख में वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमाजी संप्रति के समय के हैं गर्भगृह में कुल पांच प्रतिमाजी है। श्री ऋषिमंडल महायंत्रराज ताम्रपत्र पर अभिषेक करके गर्भगृह के बाहर दाहिनी ओर है। यह देरासर नया बनाया गया है। पहले के मूलनायक श्री आदीश्वरजी जो पहले भी मूलनायक थे उनकी तखतगढ जैन देरासरजी (३९९ प्रतिष्ठा सं. २०१३ में संपन्न हुई थी। प्रतिष्ठा पू. पं. श्री कल्याण विजयजी गणि और विद्वानमुनि श्री सौभागय विजय और मुनि श्री मुक्तिविजय आदिकी निश्रा में हुई थी । भमति में दाहिने और चौमुखजी - शेत्रुंजय आदि का पट्टा । उसके आगे एक देरी में देवकुलिका और सुमतिनाथजी ईन तीनों की प्रतिष्ठा श्री कल्याण विजयजी गणि द्वारा संपन्न थी । आदि मूलनायक की बाँये ओर भमति में एक देरी में संभवनाथ ३ प्रतिष्ठित हैं । सुमतिनाथ में २ नये और एक पूराने है तीसरे रंगमंडप में बहुत पट्ट है । तखतगढ आहोर से २५ कि.मी. और सांडेराव से २० कि.मी. के अंतर पर है। DDDDDDD、ここここに
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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