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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
१३. राजपुर
राजपुर जैन देरासरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी वहीवट कर्ता : आनंदजी कल्याणजी पीढ़ी - सादडी ।
जंगल में यहाँ पहले नगरी थी हाल प्राचीन अवशेष मिलते है । जहाँ श्री शांतिनाथजी का शिखरबंध सुंदर मंदिर है । देरासर मूल पहाड की ओर है । कुमारपाल के समय का है । रंगमंडप में चौमुखी के नीचे सं. १४७८ का लेख है । बाजु में धर्मशाला है । मूलनायक की दाहिने ओर भगवान के नीचे से सं. १४९३ का एक लेख है।
अचिरानो नंदन दीनदयाळ, नमीये शान्ति तीर्थेशने, जेहनी कांति झाकझमाळ, नमीये शान्ति तीर्थेशने. विश्वसेनना कुले राजे, नंदन आ दीपक सम आजे,
करुणासिन्धु त्रिभुवनपाळ, नमीये ०१ सोलमा जिनेन्द्र पंचम चक्री, मिथ्यामति त्यांथी गइ वक्री,
अज्ञान तिमिरना ओ काळ, नमीये ०२ मृग लंछन सोहे चरणे, प्रभुजी आव्यो तारे शरणे,
बनजो माहरा रखवाळ. नमीये ०३
मेरु स्नात्र हारुं करता, निर्मलता सुरेन्द्रो सौ वरता,
हारी भक्ति करूं उजमाळ, नमीये ०४ वार्षिक दान तें दीधुं, मिथ्यामति माने नहि सीधुं,
तुज पर मूके खोटा आळ. नमीये ०५ बचाव्यो पारेवो भारी, पूर्व भवे करुणा दिल लावी,
तेमां पाप माने वाचाळ. नमीये ०६ विजय कपूरसूरीश्वर राया, अमृतसूरि सेवता पाया,
वंदन जिनेन्द्र प्रभु त्रिकाळ. नमीये ०७