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राजस्थान विभाग : २ पाली जिला
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मूलनायक श्री आदीश्वरजी
१२. घाणेराव
मूलनायक श्री आदीश्वरजी
यह आदीश्वरका मंदिर १ हजार साल पूर्वका प्राचीन है । शिखरबंध है । कुमारपाल के समय की मूर्ति है। श्री केशरियाजी आदीनाथ घर देरासर नया है। श्री धर्मनाथ का देरासर कुमारपाल के समय का है । श्री गोडीजी पार्श्वनाथ कुमारपाल के समय के है । दर्शनीय है | रंगमंडप में बहुत सी प्रतिमाएं शाके १६८० वि. सं. १०१४ की है।
महावीर स्वामी और आदीश्वर परिकरयुक्त है। एक काउस्सग्गिया में सं. १०१४ शाके १६८० का लेख है । दो काउस्सग्गिया नेमनाथ, शांतिनाथ सब सं. १०४० के है। बहार के लेखमें भी उपरकी संवत लिखी है । जीरावला पार्श्वनाथ सं. २०२४ वैशाख सुद ६ सोमवार का लेख है । घाणेराव में ११
घाणेराव जैन देरासरजी
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शिखर बंध देरासरजी है। श्री कुंथुनाथजी वि. सं. १८७२ शाके १७३७ में प्रतिष्ठा की गई थी। यह बड़ा देरासर है। राणकपुर तीर्थ के निर्माता धरणाशाह के वंशज १४-१५ वीं पीढ़ी के यहाँ निवास करते है ।
श्री कीर्तिस्थंभ : घाणेराव श्री नव नाकोड़ा पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा श्री हिमाचल सू. म. के वरद हस्तों से सं. २०३८ महा सुद १४ के दिन संपन्न हुई थी। यह १२वां मंदिर है इसके सामने चौमुखजी पार्श्वनाथजी है श्री महावीर स्वामी चौमुखजी ९ मी मंझिल पर है और हिमाचल सू. म. की मूर्ति और नाकोड़ा भैरवजी ७ वीं मंझिल पर है। नया नाकोडा तीर्थ कहलाता है।
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