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________________ ३७६) KOCA मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथजी यह खड़ी प्रतिमाजी ९९ ईंच की है। इस तीर्थ की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय प्रद्योतन सू.म. और पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सू. म. की निश्रा में हुई है । गोलवाड पंचतीर्थो में इस नये तीर्थ का समावेश किया गया है भव्य तीर्थ है। भोजनशाला, धर्मशाला की सुविधा है । यह तीर्थ पाली- लुणावा रास्ते पर है। लुणावा से १.१ ।। (ढ) कि.मी. के अंतर है। लुणावा फोन नं. २८ : Anta MAPID) 124 1 मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी तुं छे गुणनो दरीयो प्रभुजी अवगुणे हुं भरीयो छु, तुं क्षमानो अदभुतसागर कषाय कटुंबे वरीयो जगदीश्वर तुं छे निर्विकारी विकारोधी आवरीयो कुं ६. सेसली तारी द्रष्टिना ओक कीरणथी ज्ञान गुणे पांगरीयो छु...... मागुं अक ज भवोभव मलजो तुज चरणोनी सेवा, देव निरंजन निराकार ने निस्पृह मलजो अवा भवना बंधन तूटया जेना देव तमे छो अवा, श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ भवना बंधन तोडी नाखवा मांगु तारी सेवा..... सेसली तीर्थ जैन देरासरजी मूलनायक श्री दादा पार्श्वनाथजी सेसली गाँव में श्री दादा पार्श्वनाथजीका प्राचीन देरासर है । रंगमंडप में नीचे सं. ११८७ का लेख है। एक दूसरा लेख वि. सं. १४९३ का है। यहाँ जैनों के घर बिलकुल नहीं है। रावल पूजारी आठ पेढी से पूजा करते है । यह देरासर ९०० साल पूराना है । इसका वहीवट वाली जैन संघ द्वारा होता है। दादा पार्श्वनाथजी का मुख हसता हुआ प्रसन्न है। मूर्ति चमत्कारिक है । भद्रंकरनगर १ कि.मी. है। लुणावा ३ कि.मी. पर है। बाली ३ कि.मी. पर है । फालना १० कि.मी. पर है। मीठड़ी नदी के तट पर है।
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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