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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ 香寧寧寧寧參參參參參參參參參寧寧
४. श्री हस्तगिरि तीर्थ
मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान चरण पादुका, लगभग ३६ से.मी.
प्राचीनता - यह श्री आदीश्वर भगवान के समय का तीर्थ तथा शत्रुजय पर्वत का एक शिखर मानने में आता हैं। श्री आदीश्वर भगवान का अनेक बार यहाँ पदार्पण हुआ हैं। आदीश्वर भगवान के पुत्र श्री भरत चक्रवर्ती ने इस तीर्थ की स्थापना की थी। चरण पादुकायें प्राचीन हैं। शत्रुजय गिरिराज की १२ कोस की प्रदक्षिणा में यह तीर्थ भी आता हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि भरत चक्रवर्ती ने यहाँ से मोक्ष प्राप्त किया था। और उनके हाथी अनशन करके स्वर्ग पधारे थे। इस कारण से इस पहाड़ का नाम श्री हस्तगिरि पडा हैं।
विशेषता - इस पहाड पर से एक तरफ शत्रुजय गिरिराज और दूसरी तरफ कदम्बगिरि का दृश्य अत्यंत मनमोहक और सौन्दर्य से भरपूर लगता हैं। शत्रुजय नदी का मधुर पवन चित्त को प्रफुल्लित करता हैं । साधना के लिए यह शान्त स्थल है।
मार्ग दर्शन - यहाँ पास में रेलवे स्टेशन पालीताणा १५ कि.मी. हैं। वहाँ से बस, टेक्सी, ताँगा से जालिया आना पड़ता हैं और वहाँ से पर्वत की चढ़ाई शुरु होती हैं। २.५ कि.मी. की चढ़ाई हैं।
नीचे श्री आदीश्वर भगवान का भव्य मंदिर हैं। नीचे के भाग में धर्मशालायें हैं। उपाश्रय हैं, भोजनशाला हैं। पालीताणा से सडक हैं । २० | कि.मी. का फासला है। ___ इस तीर्थ का उद्धार प.पू.आ. विजय रामचन्द्र सूरिजी म. तथा पू. आ. श्री विजय मानतुंग सूरिजी महाराज के उपदेश से हुआ हैं।
यहाँ पर पंच कल्याणक के अनुसार रचना की हैं, तलहटी में भव्य मंदिर हैं, वह च्यवन कल्याणक मंदिर हैं, बीच में एक जन्म कल्याणक, एक दीक्षा कल्याणक इस प्रकार दो मंदिर हैं। ऊपर भव्य अष्टकोण ७२ जिनालय हैं। मूलनायक भव्य चौमुखी हैं। उसके ऊपर भी भव्य चौमुखी जी हैं। शिखर बादलों के साथ बातें करता हैं। पूरा मंदिर आरस पहाड का हैं। अति भव्यतम रचना की हैं। यह केवलज्ञान कल्याणक का मंदिर है।
इस मंदिर का शिलान्यास पू. आ. जिनेन्द्र सूरिजी (उस समय पं.) की निश्रा में २०२९ में हुआ। २०४५ में अत्यन्त भव्य से भव्य महोत्सव के साथ प. पू. तपागच्छनायक आ. श्री विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में अंजनशलाका महोत्सव के साथ २३५ प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा हुई। ७०० साधु-साध्वीजी की उपस्थिति थी।
इस मन्दिर का निर्माण चन्द्रोदय चेरिटीज हस्तक कान्तिलाल मणिलाल जवेरी आदि महानुभावों ने जीवन समर्पण कर करवाया हैं।
टेकरी के ऊपर चरण पादुकायें हैं, उनको निर्वाण कल्याणक के रूप में गिनते हैं। उन चरण पादुकाओं एवं मंदिर का जीर्णोद्धार करके पू. आ. श्री विजय रामचन्द्र सू. म. के हाथों सेठ आनन्दजी कल्याणजी पेढी द्वारा प्रतिष्ठा करायी हैं।
भव्य, अति रमणीय और आल्हादक यह तीर्थ है। उसकी यात्रा करना जीवन का एक लाभ हैं।
श्री हस्तगिरि तीर्थ पेढी - चन्द्रोदय चेरिटीज मु. जालीया अमराजीवाया - पालीताणा
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श्री आदीश्वरजी पादुका
श्री आदीश्वरजी पादुका देरी