________________
३७०)
सादर
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ PRASARAMAVASHमामा
R
. और पश्चिम दिशा के श्री आदीनाथजी की प्रतिमा भी श्री RI साल्हाशाह आदीने भरवाई थी और वि. सं. १५२९ में उसी पू.
| आ. श्री के शुभ हस्तों से प्रतिष्ठा संपन्न करवाई थी मूलनायक की BEI दोनों ओर धातु के काउस्सग्गीया वि. सं. ११३४ में भरवाये थे वे
दोनों साचोर मंदिर के लिये बनी हुई प्रतिमाजी का लेख है । दूसरी मंझिल पर भी चार धातु के प्रतिमाजी है। पूर्व दिशा के अलौकिक प्रतिमाजी २१०० वर्ष प्राचीन है । वैसा माना जाता है।
यहाँ लगभग १८ जीतनी धातु की प्रतिमाएं है जीसका वजन १४४४ मन माना जाता है । प्रतिमाजी चमकदार और अति मनोहर है। कहा जाता है की यह सब प्रतिमाएं डुंगरपुर के कारीगरों द्वारा बनी हुई है।
विशालकाय उंचा मंदिर है । उपर से पूर्व दिशाका विशाल प्रदेश मनोहर लगता है । यह सब प्रतिमाजी अलग अलग समय पर बनी हुई है। फीर भी सब समान दिखाई देती है। दूसरी मंझिल पर पूर्व दिशा के धातु की प्रतिमाजी प्राचीन और अति भव्य है । तलहटी से ४०० मीटर की ऊंचाई पर यह मंदिर आते है।
डोली मीलती है । तलहटी के पहले रास्तेमें श्री कुमारपाल महाराजा का प्राचीन और भव्य मंदिर है यह थोडा अंदर की ओर है पूछने पर जा सकते है । बीच में ओरीयामें जिनमंदिर है पर यहाँ पहले तलाश करना जस्री है तब ही दर्शन हो सकते है । निकट में धर्मशाला और भोजनशाला है। आबु रोड और आरणे के बीच में भी धर्मशाला है मा. आबु की तलहटी में शांति आश्रम में रहने की और साधु-साध्वी को उतरने की सुविधा है । मानपुर में देरासर आदी है।
आबु रोड स्टेशन से ३७ कि.मी. है । वहाँ से मा. आबु देलवाड़ा होकर यहाँ आ सकते हैं । आबु रोड से देलवाडा बस जाती है । टेक्षी भी मिलती है-आबु-देलवाडा बड़ा तीर्थ है । यहाँ से ३ कि.मी. अरवली पर्वत का सबसे बड़ा शिखर गिना जाता है । वहाँ देरी में श्री आदीनाथ प्रभुजी की पादूकाएं है - अचलगढ़ तलहटी मा.आबु से १० कि.मी. दूर है और देलवाडा से ७ कि.मी. दूर है।
ARAHASRARHAARRASRANAMARA ROCKRONAROKHORRORAMAHAKARI
*
*
*
*
*
अचलगढ देरासरजी की नक्काशी
लावला
अचलगढ नीचे मूलनायक श्री शांतिनाथजी
SHARMA