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मूलनायक श्री महावीर स्वामी
यह मंदिर २५०० साल प्राचीन है। भगवान महावीर के बाद ७० साल पर यह मंदिर की प्रतिष्ठा उपकेश गच्छीय औशवंश के स्थापक पार्श्वनाथ संतानीय श्रीकेशी गणधर के प्रशिष्य और आ. श्री स्वयंसूरीश्वरजी म. के शिष्य श्री रत्नप्रभ सू. म. दो रूप धारण करके ओशिया और कोरटा दोनों स्थान पर अक ही मुहूर्त पर प्रतिष्ठा संपन्न करवाई थी ।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
सं. १०८१ में कवि धर्मपालने सत्यपूरीय महावीर महोत्सव में कोरटा तीर्थ का वर्णन मीलता है। १७२८ में यह तीर्थ उद्धार और मूल प्रतिमाजी लुप्त होने पर नई प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा संपन्न हुई है । यह प्रतिमा खंडित होने से सं. १९५९ में नई प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा श्री राजेन्द्र सू.म. ने वैशाख सुद १५ के दिन करवाई थी प्राचीन प्रतिमाजी मंदिर में बिराजमान है ।
सं. १२५२ में जाहड़ मंत्री द्वारा नाहडवसही बनाने का और आचार्यदेव वृद्धदेव सू.म. के वरदू हस्तों से प्रतिष्ठा संपन्न होने का लेख है। हाल में यह मंदिर नहीं है । गाँव में आदीनाथजी का पूराना मंदिर है। प्रतिमा भव्य है। जवाई बंद से २८ कि.मी. शिवगंज से ८ कि.मी. के अंतर पर है। धर्मशाला है। जी. पाली.
३४. ओर
ओर तीर्थ जैन देरासरजी
मूलनायक श्री आदीश्वरजी