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________________ राजस्थान विभाग १ सिरोही जिला PO 雞 DON मूलनायक श्री महावीर स्वामी मूलनायकजी की विशालकाय प्रतिमाजी है । यह प्राचीन नगरी थी। खुदाई करने पर अनेक मंदिरों के खंडहर दिखाई देते है। यहाँ दूसरां धर्मनाथ प्रभुजीका मंदिर है। जमीन में से मिले हुए काउस्सग्गीया श्री पार्श्वनाथजी और विमलनाथजी विशालकाय और दर्शनीय है विमलनाथ भगवान पर १२५९का लेख है । १९२० में जीर्णोद्धार कराने बाद श्री महावीर स्वामी की प्रतिष्ठा संपन्न हुई है। महान आ. श्री वृद्धवादी सूरीश्वरजी की यह जन्मभूमि है । उनका जन्म संवत ११४३ में हुआ था । सं. १२८७ में आबु देलवाडा की लावण्य वसही मंदिर के वार्षिक उत्सव कमिटि में यह गाँव का नाम है । आबुरोड से ५० कि.मी. दूर है आबूरोड डिसा की बस यहाँ होके जाती है । । *** अ लाख लाख वंदन अमारा महावीरने, ऋत 724 आंगणीये अवसर आनंदना. १ मूरति मनोहर देखी जिणंदनी, अंतर माने छे, S लाख लाख भवथी तराय; (मारा) हइडे हरख न माय, आंगणीये. २ देशना दीधी छे. तमे क्रोधी कौशिकने, ३३. कोरटाजी तीर्थ कोरटाजी तीर्थ जैन देरासरजी 20 घडी अथी आनंदनी; तार्यो तमोओ पाम्यो मुकितना पंथने; (प्रभु) कीधो तमोओ उपकार. आंगणीये.३ बाकुला वहोरीने तमे चंदनाने तारी, केवल दइने थया महां उपकारी; (प्रभु) तारो अमोने शी वार. आंगणीये. ४ राखो अमोने प्रभु शरणे तमारी, सेवकनी विनंती तमेलेज उर धारी; (मने) मोक्ष मारगडो देखाड. आंगणीये. ५ 西區 (३५९
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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