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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
१. नवसारी - मधुमती
मूलनायक - श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी इतिहास - ८०० वर्ष प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर वस्तुपाल-तेजपाल के समय का है। जीर्णोद्धार यहाँ की पेढ़ी की तरफ से मूलनायकजी को यथास्थान रखकर बाकी के देहरीओं की प्रतिष्ठा वि. सं. १९८८ माघ सुदी ६ के दिन की है।
गुजरात के महामंत्री श्री वस्तुपाल, तेजपाल ने इस नगर में ५२ जिनालयों वाला प्रासाद बनवाया था। आज यह मंदिर विद्यमान नहीं है। परन्तु पार्श्वनाथ प्रभु की अद्भुत प्रतिमाये उस समय की है।
महावीर नगर और बोर्डिंग में अच्छे मंदिर बने हैं। व्यवस्था- जैनों के २००० घर, भोजनशाला, धर्मशाला, उपाश्रय हैं।
बम्बई रेल्वे मार्ग तथा नवसारी बस के रास्ते जुड़ा हुआ। सुरत से अहमदाबाद बसे मिलती है।
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मधुमती - मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी
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मधुमतीजैन मंदिर