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________________ गुजरात विभाग : १५ - वडोदरा जिला मूलनायकजी - श्री मनमोहन पार्श्वनाथजी पू. श्री मनमोहन पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाजी खंडित होने से | कानमां कानमां कानमा, तारी कीर्ति सुणी में कानमां ॥१॥ संभवनाथ प्रभुजी प्रतिष्ठित किये है। यह मंदिर २५० वर्ष प्राचीन होने की घड़ी घड़ी मेरे दिल थी न वीसरे,चित्त लाम्युं तुझ ध्यान मां, तारी.॥२॥ जानकारी मिलती है। प्राचीन प्रतिमा एक श्वेत, एक बदामी दर्शनीय है। | प्रातिहारज आठ अनोपम, सेवा करे एक तान मां तारी. ॥ ३ ॥ अखंड दीपक चालू है। चार गुम्मटों के साथ शिखरबन्द संभवनाथजी का वाणी अतिशय पांत्रीश राजे, वरसे समकित दान मां तारी. ॥ ४॥ जिनालय सुशोभित हो रहा है। यहाँ शिखरबन्दी तीन मंदिर है। १ पार्श्वनाथ तुम सम देव अवर नहिं दूजो, अवनितल आसमान मां तारी. ॥ ५ ॥ भ., २ शान्तिनाथ भ. एवं ३ संभवनाथ भ. । मंदिर के नीचे के भाग में । देखी देदार परम सुख पायो, मगन भयो तुम ज्ञा मां तारी. ॥ ६॥ प्रतिष्ठित है। पिलर ऊपर मंदिर बना है। वामानंदन पास पंचासर, प्रगट अकल म्हांन मां तारी. ॥ ७ ॥ वर्तमान जैनों के २ घर है। करजण से आ सकते है। मियांगाँव करजण जिन उत्तमपद शुं रंग लाग्यो, चोल मजीठ ध्यान मां तारी.॥८॥ साथ ही बोला जाता है। स्टेशन है। बस मार्ग से भी आ सकते है। ७. बोडेली तीर्थ बोडेली जैन मंदिर मूलनायक श्री महावीर स्वामी
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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