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गुजरात विभाग : १५ - वडोदरा जिला -
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- - - ४. दरापरा
पथ
मूलनायक श्री शान्तिनाथजी, श्री सुमतिनाथजी (दूसरे मंदिर में) भोयरे में श्री अजितनाथजी
श्री शान्तिनाथ भगवान की तथा अजितनाथजी भगवान की मूल प्रतिष्ठा संवत १२०० की अवधि में तथा सुमतिनाथजी भगवान की प्रतिष्ठा सं. १८०० की अवधि में करने में आयी। तीन बार जीर्णोद्धार हुआ। अंतिम जीर्णोद्धार प. पू. आ. भ. श्री प्रताप सूरीश्वरजी के पट्टधर शिष्य आचार्य म. श्री धर्म सूरीश्वरजी के उपदेश से सं. २०१६ में करने में आया है श्री शान्तिनाथजी भगवान की प्रतिमा श्री संप्रति राजा के समय की है। ओर श्री अजितनाथजी की प्रतिमा ४१ इंच की रेत, छाण माटी की है। जिसका सं. २०४० में मोती का लेप करवाया है। दोनो जिनालय प्राचीन है। श्री सुमतिनाथजी प्रासाद श्री तारंगाजी के शिल्प के अनुसार है। पू. आ. मेरुप्रभ सूरीश्वरजी म. के सद्उपदेश से हर महीने पूनम के दिन समूह स्नात्र पढवाने में आता है। जिसमें १०० से लेकर १२५ श्रावक-श्राविकाएं लाभ लेती है। उस दिन भाता (अल्पाहार) अथवा भोजन की व्यवस्था रखी जाती है। दोनो मंदिर शिखरबन्द है। गाँव में जैनों की बस्ती २५० से ३०० घर की थी। कालक्रम से गाँव को छोड़कर चले जाने से वर्तमान में श्रावकों के नहीं है। वड़ोदरा की पंचतीर्थी में आने वाले तीर्थ पादरा, दरापरा, कुराल, वणछरा और कावी है। यात्री गण एवं साधु-साध्वीजी महाराज आदि दर्शन हेतु पधारते हैं।
भोयरे में श्री अजितनाथजी
५. करजण
मूलनायकजी - श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी
शेठ जिनदास धर्मदास पेढ़ी - करजण पहले घर मंदिर था - धातु की कुंथुनाथजी की प्रतिमाजी थी। वि. सं. १५११ में पू. श्री सेन सू. म. के हस्ते अंजनशलाका होने का लेख है। यहाँ पर दो जिनालय है। बजार के मन्दिर में नेमिनाथ प्रभुजी बिराजमान है। गुम्मटवाला जिनालय भी प्राचीन है। वि. सं. १९९१ वै. सु. १० को जीर्णोद्धारं बाद प्रतिष्ठा हुई है। वर्तमान में मुनिसुव्रत स्वामी बिराजमान है। वह नवीन मंदिर वि. सं. २०११ में बना है। सोसायटी में नया चौमुख मंदिर बना है।
जैनों के १७० घर है। अमदाबाद हाईवे पर है। मियांगाम रेल्वे स्टेशन से पास में है।
-ELETELEGREEEEEEEEEEEEEEEENA