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मूलनायकजी श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी
श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ पेढ़ी, श्री परमार क्षत्रिय जैन सेवा ट्रस्ट, पावागढ़
यहाँ पर चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रभु का जिनालय बना है। नीचे के भाग में नाकोड़ा सहस्रफणा पार्श्वनाथजी विराजमान है। वर्तमान में ही बि. सं. २०४७ का नूतन तीर्थ है ।
इस तीर्थ स्थल के प्रणेता श्री परमार क्षत्रियोद्धारक आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्न सूरिजी महा. है ।
उद्धारक गुरुभक्त दानवीर श्रीपाल जी जैन पौत्र अरुणकुमार जैन । जैन तीर्थ का प्राचीन इतिहास ऐसा कहता है कि यह पावागढ़ तीर्थ बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी के समय का मानने में आता है।
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग १.
सम्राट अशोक के वंशज गंगसिंह ने सन् ८०० में पावागढ़ किला एवं जिन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। यह पहाड़ श्वेताम्बर जैनों का तीर्थ स्थान था। आज एक भी श्वे. जैन मंदिर रहा नहीं है।
अचल गच्छाधिष्ठायिका देवी श्री कालिका देवी का यह प्रसिद्ध स्थान गिना जाता है। नीचे पावागढ़ गाँव है। धर्मशाला, भोजनशाला वगैरह है। हिन्दुओं का तीर्थधाम है।
भोजनशाला जैन कन्या (प.क्ष.) छात्रालय, बोर्डिंग, पावागढ़ हालोल रोड़ पर आता है। वडोदरा से ५२ कि.मी. है। हालोल में नवीन मंदिर है। पावागढ़ से ७ कि.मी. दूर है।
४. दाहोद
दाहोद जैन मंदिर
मूलनायकजी श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी
पेढ़ी - गिरधरलाल हेमचंद भाई शाह नेताजी बादार दाहोद
पहले घर देरासर था। सं. २०३६ में शिखरबन्द मंदिर बनाया। प्रतिष्ठा की। श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान की खूबसूरत प्रतिमा है। अतिशय चमत्कारी प्रतिमाजी है।
नागेश्वर तीर्थ तथा रतलाम इन्दौर आदि जाने के लिये हाईवे उपर ही आने के कारण यात्रियों को दर्शनों का लाभ मिलता है। जैनों के १०० घर है।