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गुजरात विभाग : १४- पंचमहाल जिला
मूलनायकजी श्री नेमिनाथजी (श्याम वर्ण)
पेढ़ी वेजलपुर (जि. पंचमहाल) जैन संघ ट्रस्ट
पंचमहाल जिला के देवगढ़ बारिया तहसील (तालुका) में आया हुआ छोटा राजपूत ठाकुरों की बस्ती है। यहाँ देव को सत्य देव गिनने में आता है। सब धर्म के लोग मानते है। छाणी गाँव के श्रावक को स्वप्न आया कि गाँव के बाहर कर नदी के मध्य में नेमिनाथ प्रभु की प्रतिमाजी है। खुदाई का काम करते समय परिकर के साथ मूर्ति मिली। बैलगाड़ी में प्रतिमा लाते समय वर्तमान स्थल पर ठहर गयी वहाँ पर मंदिर बनाया है। कहा जाता है कि इस गाँव से चार कोस (१३ कि.मी.) गाँव दूर धनेश्वरी नगरी थी।
मुस्लिम आक्रमणों से नष्ट हो गयी, प्राचीन प्रतिमाजी नदी के किनारे भूमि में दब गई होगी। ई. सं. १४८४ में महमद बेगड़ा ने आक्रमण किया वैसा
मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी
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कहा जाता है। प्राचीन प्रतिमाजी सम्प्रति महाराजा ने भराई हो ऐसा कहा जाता है।
यह प्रतिमाजी पहले पावागढ़ में थी। वहाँ से धनेश्वरी बाद में परोली आयी होगी। वि. सं. १८८३ में जीर्णोद्धार हुआ उस समय रंग मंडप की कमान पर लेख था। अंतिम ई. सं. २०३० में जीर्णोद्धार हुआ है।
सम्प्रति महाराजा के समय की प्राचीन प्रतिमा व ५०० वर्ष पूर्व का मंदिर है। वस्तुपाल - तेजपाल के समय में बहुत जैन मंदिर थे। फा. सु. ११ को मेला भराता है। उपाश्रय, भोजनशाला, धर्मशाला है।
गोधरा से १७ कि.मी. हालोल से १५ कि.मी. है। बसे मिलती है।
३. पावागढ तीर्थ
पावागढ़ जैन मंदिर
राग ( धन्य श्री वीर प्रभु प्यारा )
सुपार्श्व जिन जी प्यारा, अभयनो डंको देनारा डंको देनारा स्वामी डंको देनारा, सुपार्श्व. पिता प्रतिष्ठित पृथ्वी माता लंछन स्वस्तिक सारा, वाराणसी नगरीना प्रभु तुमे छो, जगजीवन आधारा, बसो धनुषनी आपनी काया, मूल थी माया मारनारा, बीसलाख पूर्व आयु पामीने, विराज्या मोक्ष मोझारा, कर्पूर अमृत गुरु जिनेन्द्र प्यारा, वन्दे अपारा,
अभय. अभय.
अभय.
अभय. अभय.
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