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मूलनायक श्री साचा सुमतिनाथजी
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
मूलनायकजी श्री साचा सुमतिनाथजी
ठे. साचा देव कारखाना मातर जि. खेड़ा
संप्रति महाराज के समय की प्रतिमाजी है। मंदिर का वारंवार जीर्णोद्धार हुआ है। अंतिम वि. सं. १९९७ में जीर्णोद्धार हुआ है। यहाँ की प्रतिमाजी सुहुज गांव की जमीन में से निकली है। जब प्रतिमाजी को यहाँ ला रहे थे उस समय भारी वर्षा के कारण वात्रक नदी में पूर की संभावना थी। संघ ने रूक जाने का निर्णय किया परंतु रथचालक को पानी के स्थान पर रेती दिखी और रथ किनारे मातर पहुंच गया। उस समय से साचा देव की प्रसिद्धि सुमतिनाथजी को मिली। बावन जिनालय युक्त शिखर बन्द भव्य मंदिर है।
पू. बाप जी म. श्री सिद्धि सूरिजी म. को यहाँ मंदिर के नीचे शलय है, वैसा स्वप्न आने पर जीर्णोद्धार की पेढ़ी ने खात्री की खूब नीचे मनुष्य के हाड़ पिंजर निकले। २००७ में मूल जिनालय का जीर्णोद्धार हुआ। पू. सिद्धि सू. म. पू. लब्धि सू. म. पू. रामचन्द्र सू. म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है।
जैनों के घर है । वि. सं. २०४३ में धर्मशाला, भोजनशाला, उपाश्रय नये बने है। खेड़ा से जा सकते हैं। खेड़ा से ५ कि.मी. है।
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३. सोजीत्रा
मूलनायकजी श्री महावीर स्वामी
इस गाँव में हालार देशोद्धारक पू. आ. श्री अमृतसूरि म. का जन्म हुआ
है। मोती शाह शेठ की जन्मभूमि है। पालीताणा में मोतीशा की टँक प्रख्यात है। दानवीर तथा धर्मप्रेमी था। इस मंदिर के पास में शेठ मोतीशाह के द्वारा निर्मित मंदिर था । अजितनाथ भगवान मूलनायक थे और काष्ठ की कलाकारी युक्त मंदिर था। जो जीर्ण हो जाने से नवीन शिखर बन्द यह मंदिर बना है। २५०० वर्ष पूर्व की चौवीस जिनों की आरस तथा धातु की प्रतिमायें हैं। तीन चौबीसी भगवान है। वि. सं. २०३८ में आ. श्री विजय चन्द्रोदय सूरिजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। मंदिर के बाहर श्री विजय कस्तूर सूरिजी म. की देहरी है। उनकी स्वर्ग भूमि है।
जैनों के घर २५, धर्मशाला एवं उपाश्रय है ।
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