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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
मूलनायक जी - श्री मल्लिनाथजी
उस स्थान पर वर्तमान में मंदिर मौजूद है। सोलंकी वंश के ठाकुरों ने प्राचीन एवं दिव्य प्रतिमाजी है, बगल में कुकवाव नामक गाँव में कुआ। जमीन प्रदान की। कारखाने ने कायमी पहरा दिया। वि.सं. १९३० निकला का खुदाई का काम हो रहा था, वहाँ पर दोपहर को आराम कर रहे केवल |
और १९४३ माघ सुदी १० को नवनिर्मित मंदिर में प्रतिष्ठा की। तीन शिखरों नामक पटेल के कान में अलग-अलग आवाजें अपने आप होने लगी। जब युक्त देरासर चमत्कारी प्रतिमाजी दिव्यता फैला रही हैं। कार्तिक चैत्र, श्रावण उसने खडे होकर देखा तो मोटी परत के नीचे प्रतिमाजी दिखाई दी। और दो | में पूनम को मेला भरता है। हजारों यात्रीगण आते हैं। कायोत्सर्ग प्रतिमायें भी दिखाई दी। बाहर निकालने के पश्चात् कुकवाव एवं कड़ी कटोसन लाईन में यह रेल्वे स्टेशन है। कड़ी, शंखेश्वर, भोयणी के लोगो के मध्य में प्रतिमाजी रखने के सम्बन्ध में विवाद हो गया। अहमदाबाद, वीरमगाँव से बसे मिलती है। कड़ी से ७ कि.मी. होता है। अन्त में बिना बैलगाडी में प्रतिमाजी रखने और गाड़ी जिस ओर जाय उस भव्य धर्मशालाओं भोजनशालाओं की सुन्दर व्यवस्था है। ओर उसको जाने देना - इस प्रकार तय होने पर गाड़ी भोयणी आयी और खडी हो गयी।
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३१. वामज तीर्थ
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बामज जैन तीर्थ मंदिर
मूलनायक श्री आदीश्वरजी
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