________________
२१०)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
RRORAKAR
(३) श्री भक्ति पार्श्वनाथ १०८ शिखर युक्त श्री पार्श्वनाथ प्रभु का भव्य जिनालय हाईवे रोड पर बना है। यहाँ पर भी सुन्दर विशाल धर्मशाला है। उपाश्रय है। आराधना के लिए शान्त रमणीय स्थान है।
वीरमगाम रोड पर श्री हालारी वीशा ओसवाल श्वे. मू. तपागच्छ जैन धर्मशाला का बडा संकुल बना है। उसमें भव्य श्री अमृतेश्वर पार्श्वनाथ जिनेन्द्र प्रासाद बन रहा है।
अनेक धर्मशालाओं तथा भोजनशालाओं की व्यवस्था है। जैनों के १०० घर है। राधनपुर वीरमगाम रोड ऊपर यह तीर्थ है, सब और से वाहन व्यवहार मिलता है।
अब मोहे ऐसी आय बनी, श्री शंखेश्वर पास जिनेश्वर, मेरे तुं एक धनी, अब. ॥१॥ तुम बिन कोई चित्त न सुहावे, आवे कोडी गुणी, मेरो मन तुज पर रसियो, अलि जिम कमल भणी अब. ॥ २ ॥ तुम नामे सवि संकट चूरे, नागराज घरणी, नाम जंपु निशिवासर तेरो, अशुभ मुजकरणी। अब. ॥ ३ ॥ कोपानल उपजावत दुर्जन, मथन वचन अरनी, नाम जपुं जलधार तिहाँ तुज, धारूँ दुःख हरनी। अब, ॥४॥ मिथ्या मति बह जन हे जगमें, पद न धरत धरनी, उनको अब तुज भक्ति प्रभावे, भय नहिं एकनी। अब. ॥५॥ सज्जन-नयन सुधारस अंजन, दुरजन रवि भरनी, तुज मूरति निरखे सो पावे, सुख जस लील घनी। अब.॥६॥
भक्ति विहार १०८ पार्श्वनाथ तीर्थ मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
भक्ति विहार १०८ पार्श्वनाथ तीर्थ जैन मंदिर