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मुजपुर श्री गोडीजी जैन मंदिरजी
मूलनायक - श्री महावीर स्वामी
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-9 樂樂樂樂麻
राग (आओ आओ हे वीर स्वामी......) कापी कापो हे पार्श्व प्रभुजी मारा दुखड़ा आज मारा दुखड़ा आज कापो, मारा दुखड़ा आज राय अश्वसेन पिता तुम्हारा, वाराणसी भूप सार वामा माता ने जाय तमे छो, सर्प लंछन जयकार दीक्षा लेई प्रभु कर्म खपावी केवल ने वरनार चोत्रीस अतिशय छाजे तुमने, बार गुण धरनार
कापो...
२७. पंचासर
कापो.....
कापो.....
मेघ नादे प्रभु देशना आपे, भवी दुःख हरनार, एहवी देशना वेरझेर भूली, सांभले पर्षदा बार.
पूर्व वेर थी कमठ वरसावे, वरसाद एक धार,
वे नागेन्द्र प्रभु कष्ट जाणी, सेवा करे सुखकार. कापो....
कापो
गुरु कर्पूर अमृत गुणे, पार्श्व वरे शिवनार,
पाये पडीने जिनेन्द्र विनवे, आपो सेवा श्रीकार, कापो...
पंचासर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
• वर्ष
यहाँ पर अत्यन्त प्राचीन मंदिर के अवशेष पड़े हैं। उनके मूलनायक श्री पंचासरा के पार्श्वनाथ थे। ये प्रतिमाजी वि.सं. ८०२ में पाटण में प्रतिष्ठित हुई है। यहाँ का मंदिर खंडित हो जाने से वर्तमान की जमीन पर ५० पूर्व दूसरा मंदिर बना है। दूसरी प्राचीन सुंदर प्रतिमा वर्तमान मंदिर में है। पंचासरा से पाटण तक आगे के समय में भोयरा था। यहाँ पर वनराज चावड़ा का जन्म होना कहा जाता है और शील गुण सूरिजी ने उसको आश्रय
दिया था। जैनों के पाँच घर है। यहाँ से शंखेश्वर १० कि.मी. होता है। रोड़
से एक कि.मी. अंदर है। पांजरापोल चबूतरा वि. है ।
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