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________________ गुजरात विभाग : ९ - महेसाणा जिला 樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂樂果麻 ८. गांभु तीर्थ 0000000000000000000000000 Manand શ્રી ગભીરા પાČનાથ 13 RE मूलनायक श्री गंभीरा पार्श्वनाथजी मूलनायक श्री गंभीरा जी पार्श्वनाथजी २५०० वर्ष पहले की श्वेत पद्मासनस्थ सम्प्रति राजा के समय की यह प्रतिमा है। १०० वर्ष पूर्व हर रोज प्रतिमाजी के हाथ में से एक चांदी का ॥ प्रमुदितः प्रणमामि यशोगुरुम् ॥ Bचार સિધ્ધ 렛 नय C ९. कनोडा गांभुतीर्थ जैन मंदिरजी सिक्का गर्भगृह में पड़ता था। प्रतिमा जमीन में से निकली हैं। ऐसा कहते है। इस प्रतिमा का दिन में तीन समय स्वरूप बदलता है। ऊपर की मंजिल पर श्री भीडभंजन पार्श्वनाथजी है। नीचे नव प्रतिमाजी हैं। महा (१८७ ● प्रमुद्रितः प्रणमामि सरस्वतीम्॥ 乘乘乘乘乘乘來樂來樂來樂來樂來樂耎乘乘國國樂來來來來來來來 पू. महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म. सरस्वती मन्दिर 麻樂樂樂樂敏敏敏敏敏樂樂樂敏敏敏樂樂樂樂樂麻
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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