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________________ गुजरात विभाग : ८ - बनासकांठा जिला (१७३ मा SOINE ALMH TATION છે. પિતાથી मूलनायक श्री विमलनाथजी समीप में श्री पार्श्वनाथजी EOHD TAKA मूलनायक श्री महावीर स्वामी भगवन्त पहले का प्राचीन जिन मंदिर अत्यन्त प्राचीन था। वह जमीन में दब गया। भूमि में होने से कभी-कभी पानी भर जाता था। इससे ये प्रतिमाजी लाकर नवीन मंदिर में प्रतिष्ठित की। यहाँ पर १० मंदिर है। शासन नायक भगवान महावीर स्वामी की वि. सं. १५४१ में यहाँ पर भूगर्भ में से ५ फुट की प्रतिमा प्रगट हुई। वह प्राचीन है। थराद जैन संघ ने २४ देहरी शिखरों युक्त भव्य मंदिर बनाया है। थराद के संघपति आभू प्रसिद्ध है। उन्होंने अपना १३४० में शत्रुजय का संघ निकाला था। यह प्रसिद्ध मंदिर वीरपाल धरु नाम के यहाँ के राजा की बहिन ने बनाया था। यहाँ पर श्री वटेश्वर सूरिजी ने थिराप्रद गच्छ की स्थापना की थी। पू. आ. वि. यतीन्द्र सूरि म. सा. के सदुपदेश से अंजनशलाका वि. सं. २००८ माघ सुदी ६को हुई। पास में ऋषभदेव जी की अंजनशलाका वि. सं. २००१ फा. सु.५ के दिन हुई। मंदिर में विशाल प्रांगण हैं। सुन्दर रंगमंडप हैं। डीसा ५५ कि.मी. भोरोल तीर्थ २२ कि.मी. हैं। बस और टैक्सियाँ मिलती हैं। ESHENBE बलदासाचारपनि SUMMERCIRS50Dalna समीप में श्री महावीर स्वामी S साल BHA FORal R EPAROR E.AJE DOE SIN
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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