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गुजरात विभाग : ८ - बनासकांठा जिला
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९. वाव
मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी
श्री गोडी पार्श्वनाथजी जैन मंदिर
मूलनायक श्री गोडी पार्श्वनाथजी इस जिन मंदिर की प्रतिष्ठा पू. ऊँकार सूरिजी म. सा. के हाथ से वि. सं. २०३० में हुई। इस मंदिर में सुन्दर कला एवं कारीगरी वाला पटासन है।
श्री अजितनाथ की धातु की प्रतिमा प्राचीन है। प्राचीन ३ मंजिल मंदिर पूर्व में था। जो लोगों ने देखा था। प्राचीन स्थान से खुदाई का काम करते समय प्राचीन मंदिर निकला। उसी स्थान पर नवीन जिन मंदिर बनवाया हैं। यह स्वर्ण की प्रतिमा हैं ऐसा मानकर अल्लाउद्दीन लेने आने वाला था। उस भय से थराद से श्रावक यहाँ पर लाया और दूसरी मूर्ति को वरख लगाकर बनाया जिससे शंका न हो।
श्री गोडी पार्श्वनाथजी के लेख में वि.सं. १४३२ वर्ष फा. सुदी-२ भृगुवासरे अचलगच्छ श्री मद्नरेन्द्रसूरि गच्छेशितुः पिप्पलाचार्य अभयदेव सूरिणाम् उपदेशेन उसमर्थ शार मेवा धाडके। ___ इस लेख द्वारा निश्चिन्त होता है कि प्रगट प्रभावी पार्श्वनाथ की मूल प्रतिमा इस जिनालय में प्रतिष्ठित मूर्ति है।
यह लेख प्रभुजी के पीछे हैं। यह मंदिर गाँव के बाहर था। यहाँ से गोडी गाँव का ४ घन्टे का रास्ता है। जो वर्तमान में पाकिस्तान में हैं।
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