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________________ गुजरात विभाग :८- बनासकांठा जिला (१५५ 參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參 मूलनायकजी - श्री अनन्तनाथजी । सुमतिनाथजी का मंदिर नवीन हैं। इस मंदिर में मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिष्ठा श्री मुनिसुव्रत स्वामी - श्री सुमतिनाथजी संवत १९९१ में हुई है। मूलनायक श्री अनन्तनाथजी का मंदिर अमडका गोविन्दजी तथा लाघा श्री सुमतिनाथ का गुम्मटवाला मंदिर प्रतिष्ठा २०२६ मे हुई है इसमें तीन तथा शवगण तथा रूपशी डोसा ने कराया है। जीर्णोद्धार श्री संघ ने करवाया गर्भगृह एवं तीन शिखर हैं ।बायी और गर्भगृह में मूलनायक श्री शान्तिनाथ है। मंदिर अमडका का है। (अमडका-अटक) संवत १८६५ के वैशाख वदी ____ अति प्राचीन है। उसकी महिमा आज भी मौजूद है। प्रतिमा के सात टुकड़े ७ सोमवार को पं. श्री धर्मविजयजी की निश्रा में प्रतिष्ठा करायी है। हुए। गोरजी के मार्गदर्शन के अनुसार ७ दिन के बदले ६ दिनों में ही लापसी विधि - जाडेजा श्री मूलवाजी तथा हामजी के राज्य के मध्य हुआ। में से निकालते प्रतिमा जुड़ तो गयी परन्तु निशानी रह गई है ऐसा कहा जाता आरस की मूर्तियाँ १८ जो सब प्राचीन हैं। श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी का हैं। पांजरा पोल बहुत बड़ा है। श्री जैन संघ व्यवस्था करता है। जैनों के ५५ शिखरबन्द मंदिर आरस के ७ प्राचीन एवं भव्य आकर्षक प्रतिमायें हैं। यहाँ के घर हैं। यह शहर २०० वर्षों का प्राचीन है। आयंबिल शाला है। तीन मंदिर प्राचीन प्रतिमाओं युक्त उसी प्रकार दो मंदिर प्राचीन एवं २. राधनपुर 券缘斷综鬚條断探蟹缘缘缘缘缘拳拳拳拳。 gawu are rational InRaipur श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिरजी: 參參參參參參參參參參參參參參參參參 मूलनायक श्री सातफणा पार्श्वनाथजी मूलनायक - श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी यह नगरी प्राचीन है एवं हाईवे ऊपर आती है।इसका इतिहास भी बहुत है। श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ का पाँच गर्भगृहों युक्त एवं तीन शिखरों वाला उत्तम कला कारीगरी युक्त विशाल एवं भव्य प्राचीन प्रतिमाओं से सुशोभित यह बड़े से बड़ा मन्दिर है। इस मंदिर की विजयसेन सूरिजी म.सा. ने प्रतिष्ठा की है। इस गाँव में २४ मंदिर है। दूसरे मंदिर - विशाल आदीश्वरजी के मंदिर में मूलनायक बड़े आदीश्वरजी की प्रतिमा कुमारपाल के समय की है। इस मंदिर के वि.सं. १९९७ में दो सो वर्ष हुए है। उजा की पोल में शान्तिनाथ भगवान अति प्राचीन वि.सं.६०८ का मंदिर राधनपुर में है। वहाँ पांच गर्भगृह और तीन शिखरों से युक्त है। सबसे प्राचीन और सबसे पहले का है। सातवीं शताब्दी के शुरू में राधनदेव राजा ने यह राधनपुर बसाया तब से यहाँ शान्तिनाथ की प्रतिष्ठा हुई है। श्री सहसफणा पार्श्वनाथजी मूलनायक वाला यह मंदिर राधनपुर में सबसे बड़ा तीन मंदिर में से एक (१) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ (२) श्री आदीश्वर दादा का (३) श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथजी । पाँच गर्भगृहों वाला एवं तीन शिखरों वाला है। नीचे भोयरे में तीन गर्भगृह हैं ।एवं श्री शीतलनाथ मूलनायक वाला यह मंदिर प्राचीन है। पाँच गर्भगृह हैं। यह मंदिर १०० वर्षो से ऊपर का है। मूर्तियाँ मनोहर हैं। श्री धर्मनाथजी का चौमुखी का मंदिर १०० वर्ष से अधिक का सुन्दर मंदिर है।
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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