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गुजरात विभाग : ७ कच्छ जिला
AN SAPA SAPTA BALAN SSPEA
जलिया तीर्थ जैन मंदिरजी
मूलनायक जी श्री चन्द्रप्रभु स्वामी जी पेढ़ी- सेठ नरसी नाथा चेरिटी ट्रस्ट
श्री चन्द्रप्रभ स्वामी के बगल की दोनो ओर देरियों में वीर स्वामी तथा महावीर स्वामी (प्राचीन मूर्ति हैं। इन सबकी प्रतिष्ठा सेठ नरसीनाथा नागडा की ओर से उनकी देखरेख में उनके हस्ते करवाने में आयी है। श्री शान्ति माथजी मंदिर में वि.सं. १९११ में प्रतिष्ठा कराने वाले भारमल तेजसी मेहता, श्री अष्टापद जी के मंदिर की तथा साथ ही आठ देरियों की प्रतिष्ठा वि.सं. १९९८ में हुई। बनाने वाले सेठ नरसीनाथा के सुपुत्र हीरजी नरसी साथा है।
श्री चन्द्रप्रभ स्वामी के बायें हाथ में देरी में मूलनायक श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा बहुत ही प्राचीन है। सेठ श्री नरसीनाथा यहाँ के रहने वाले थे। उन्होने शत्रुंजय ऊपर तथा पालीताणा शहर में मंदिर बनवायें हैं।
श्री शान्तिनाथ जी मंदिर, श्री अष्टापदवी, जीरावला पार्श्वनाथ की इस प्रभुजी के पास के गाँव वडसर में मूलनायक के रुप में विराजमान थे।
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कुदरत के प्रकोप से जैनियों की बस्ती समाप्त हो गयी पीछे नलिया से पूजारी पूजा करने आता था। बाद में ट्रस्ट बोर्ड के निर्णय से चन्द्रप्रभ स्वामी का मंदिर के पीछे नवीन मंदिर निर्माण करवा कर सं. २०२७ में अंचल गच्छ के आचार्य श्री गुणसागर सूरिजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई। मुख्य मंदिर श्री चन्द्रप्रभ स्वामी की प्रतिष्ठा १८९७ में हुई।
उपर के सब मंदिर भव्य और सचमुच में देखने लायक हैं। कारीगरी, कला, सुन्दरता दर्शनीय हैं।
बहुत बड़ा ज्ञान भंडार हैं। आगम की प्रतें (शास्त्र) बहुत हैं। जैनियों के कुल ४०० घर है। उनमें १३५ घर खुल्ला है। यहाँ से तेरा १८ कि.मी. दूर है।
सेठ नरसी नाथा चेरिटी ट्रस्ट फंड, ३०९ नरसीनाथा बम्बई नं. ९ (यहाँ पर मुनीमजी जेठाभाई लखमसी लोडाया के हस्ते विगत प्राप्त हुई हैं। नलिया)
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