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गुजरात विभाग : ७ - कच्छ जिला
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श्रीजीरावलापार्श्वनाथजैन मंदिर
मूलनायक - श्री जीरावला पार्श्वनाथजी
शामला पार्श्वनाथ का मंदिर ५०० वर्ष प्राचीन हैं । सुथरी में लघु श्री जीरावला पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा १९१५ में हुई है। शामलिया शिखरबन्द अजितनाथ का मंदिर इस शामलिया पार्श्वनाथ के मंदिर जितना पार्श्वनाथ एवं बहुत देरिया एवं जीरावला पार्श्वनाथ का जीर्णोद्धार वि. सं. ही प्राचीन है। जीरावला पार्श्वनाथ के बगल में प्राचीन गृह मंदिर में सिद्धचक्र २०३८ माघ सुदी ५ शनिवार ता.३०-१-८२ को हुआ। यहाँ पर सब मंदिरों बहुत सारे विराजमान हैं। आशातना न होवे इसकी पूर्ण व्यवस्था है।घन्टा के नव शिखर हैं। और नव गुम्मट हैं । देखने लायक यात्रा का स्थल है। ७७ किलो का लन्दन निर्मित (वि.सं.१८५८) घन्टे पर लिखा हुआ है। जीरावला पाशर्वनाथ के ऊपर के तल पर पद्मप्रभु स्वामी है। जीरावला शत्रुजय आदि तीर्थ और ज्ञान मंदिर वि.सं.२०३१ में बना है। चौदह राज
पार्श्वनाथ मंदिर में तीन गर्भद्वार हैं। एवं पहले तल में भी तीन गर्भगृह हैं। श्री लोक के साथ ७ तीर्थो के पट्ट वगैरह मढे हुये हैं। अन्तिम छ: वर्षों में ९२ और जीरावला पार्श्वनाथ एवं शामलिया पार्श्वनाथ एवं पद्मप्रभस्वामी की हजार यात्रीगण आये हैं। ३२ वर्ष का श्री मन्त भगवान दास प्यारेलाल प्रतिमायें सम्राट संप्रति राजा ने भराई हैं।
(अहमदाबाद वालो ने) की काँच के काम की कारीगरी अद्भुत की गई हैं। धर्मशाला है। भोजन की व्यवस्था हो सकती है।
ता. अबडासा (कच्छ) तार - तेरा - टेली- नलिया
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* * * * * * * * * * राता जेवा फूलड़ा ने शामला जेवो रंग । आज तारी आंगीनों काँई, रूडो बन्यो छे रंग प्यारा पासजी हो लाल, दीन दयाल मने नयणे निहाल ॥१॥
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तूं छे मारो साहिबो ने, हुँ छू तारो दास, आश पूरो निज दासनी, काई, सामली अरदास,प्यारा. ॥३॥ देव सघला दीठा तेमा, एक तू अवल्ल। लाखेणुं छे लटकु त्हारू देखी रीझे दिल्ल. प्यारा ॥४॥ कोई नमे पीरने, कोई नमे छे राम, उदयरत्न कहे प्रभुजी, मारे तुमशु काम् । प्यारा ॥५॥
जोगीवाडे जागतो ने, मातो धिंगड मल्ल, शामलो सुहामणो काई, जीत्या आठे मल्ल, प्यारा. ॥२॥