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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ दबदबदबदबदब
मूलनायक श्री शान्तिनाथ जी
यहाँ का घंटा २०० किलो वजन का है। जो लन्डन से १८६० में लाया अंचलगच्छीय आ.रत्नसागरसूरिजी म.के हस्ते प्रतिष्ठा वि.सं. १९१८ में गया है। मुख्य शिखर के सामने पुंडरीक स्वामी का मंदिर है। मुख्य मंदिर के हुई है। पाँच गर्भद्वार आठ शिखरों सहित सुन्दर कलायुक्त ८५ फुट ऊँचा मध्य बायी तरफ आदीश्वर स्वामी के आगे चिन्तामणि मंदिर पार्श्वनाथ की देरी शिखर है। भोयरे में प्राचीन मूलनायक हैं। पहिली मंजिल पर धर्मनाथजी ऊपर चौमुखा शामला पार्श्वनाथ है। मुख्य मंदिर के आगे बाये आदीश्वर चौमुख है। आँईलपेन्ट के चित्र १२५ वर्ष प्राचीन है। यहाँ की कलाकृतियाँ चौमुख हो कर स्वतंत्र चौमुखी मंदिर को जाया जाता है। मुख्य मंदिर के आगे अद्भुत हैं । रंगमंडप पर पत्थर की अद्भुत कारीगरी है। मुख्य मंदिर के पीछे दायें हाथ को महावीर स्वामी का मंदिर है। ऊपर अजितनाथजी का मंदिर है। दायी तरफ श्री स्वतंत्र मंदिर पार्श्वनाथ जी का १२२ वर्ष प्राचीन हैं। उसके ___अबडासा पंचतीर्थी का यह एक तीर्थ है ।कुल २५० प्रतिमायें है। शेठ केशव ऊपर की ओर सामने चौमुख आगे बाँयी तरफ भो एक स्वतंत्र शान्तिनाथजी जी नायक यहाँ के थे जिन्होने शत्रुजय के ऊपर टोंक निर्माण करायी है। का मंदिर चारसो वर्ष प्राचीन है। भोयरे में कुन्थुनाथजी उपरान्त आरस की जैनों के कुल ३०० घर हैं। जिनमें ५०घर खुले है। जैन धर्मशाला,जैन चौवीसी-१ एवं पंचतीर्थी आरस की है। भोयरे के दो कमानों के ऊपर भोजनशाला एवं आयंबिल भवन हैं। मांडवी से कोठारा ५८ कि.मी. है। सम्पूर्ण भव्य एवं विशाल मंदिर का आधार हैं।
सुथरी तीर्थ होकर यहाँ आते है।
९. तेरा तीर्थ
बबबबबबबबबबबबबबबबबबबबबबबदबदबददददददद
|ાધી. જદાવલા પાર્શ્વનાથ ભગવાન
मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री शामलिया पार्श्वनाथजी