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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शनं : भाग-१
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७. सुथरी तीर्थ
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मूलनायक श्री घृतकल्लोल पार्श्वनाथजी
सुथरी तीर्थ जैन मंदिर
चलती हैं। हर वर्ष २५ हजार जैन यात्रीगण यहाँ पधारते हैं । पेढ़ी और पांजरापोल यहाँ का श्री संघ चलाता हैं। - जैनियों के घर तो २५० हैं। परन्तु खुल्ला ८० हैं। एक जैन धर्मशाला
और जैन यात्रीगृह हैं। कोठारा ११ कि.मी. हैं। ता. अबडासा कच्छ ता. टे. कोठार
मूलनायक श्री घृतकल्लोल पार्श्वनाथ
श्री घृतकल्लोल पार्श्वनाथजी के मंदिर की प्रतिष्ठा १८९८ बैसाख सुदी ८ रविवार को हुई। अंचलगच्छ के नवीन मंदिर की प्रतिष्ठा आ.श्री मुक्ति सागरसूरिजी के हस्ते वि.सं.१९७५ वै. सु ३ बुधवार को हुई हैं।
जामनगर के पास जो वर्तमान में शिकारी गाँव के नाम से जाना जाता हैं। . वहाँ पर पू.आ.श्री कल्याण सागर सूरिजी की निश्रा में मंत्रीगण श्री वर्धमान शाह एवं पद्मसिंह शाह के हाथों श्री घृतकल्लोल पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा हुई थी। उन्होंने यहाँ श्रावक को स्वप्न में कहा मैं सुथरी जाता हूँ मुझे खोजना नहीं। यहाँ पर सुथरी में श्रावक को स्वप्न में कहा कि- घी के घड़े में से मुझे बाहर लाओ। उसने वहाँ पर देखा तो घी में प्रतिमा कल्लोल कर रही थी उस 3 कारण से घृतकल्लोल पार्श्वनाथ नाम पड़ गया।
यहाँ के दशा ओसवाल का अधिकांश भाग बम्बई वगैरह स्थानों में १ बसता हैं।धार्मिक आराधना हेतु बम्बई वगैरह से आते हैं। उनमें पर्युषण करने हेतु अवश्य आते ही हैं। जैन पाठशाला चलती है।साधर्मिक भक्ति स्थायी