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गुजरात विभाग :६- सुरेन्द्रनगर जिला
(१२१
५. चूडा
શીદનાથ પ્રભુ
पस्या
20.
चूडा जैन मंदिर
मूलनायक श्री आदीश्वरजी
मूलनायक श्री आदीश्वरजी यहाँ पर प्राचीन २२० वर्ष प्राचीन मंदिर था, वहाँ पर ही नवीन निर्माण कराया है। प्रतिमाजी प्राचीन है। प्राचीन मंदिर में सुविधिनाथ भगवान थे। नवीन मंदिर की प्रतिष्ठा हुई उस समय पू. आ. श्री धर्मसूरिजी म. ने कहा कि यह सुविधिनाथ की प्रतिमा नहीं है किन्तु आदीश्वरजी की प्रतिमा है। उस समय चमत्कार रीति से लंछन भी बदल गया। यह बात यहाँ के ट्रस्टी ने कही। प्रतिष्ठा विक्रम संवत १८०६ माघसुदी ५ को। जीर्णोद्धार संवत २०२० ।
सार्वजनिक धर्मशाला है। आयंबिल खाता चलता है। जैनियों के ५० घर हैं।
६. शंखेश्वर नेमीश्वर तीर्थ-डोलीया
मूलनायक श्री शंखेश्वर नेमीश्वर ऊपर शिखर पर धातु के भव्य श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी
यहाँ स्वतंत्र रचनायें श्री शंखेश्वर नेमनाथ शंखवादन तथा श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथ के प्रगटीकरण की रचनायें हैं और पू. आ. भ. श्री सिद्धि सूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. भ. श्री कर्पूरसूरीश्वरजी म. तथा पू. आ. भ. श्री रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. पू. आ. भ. पू. आ. श्री विजय अमृत सूरीश्वरजी म.. की मूर्तियां स्वतंत्र गुरु मंदिरों में प्रतिष्ठित हैं। ___यह नेशनल हाईवे पर भव्य तीर्थ है । पू. आ. श्री विजय अमृत सूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी
महाराज तथा पू. मुनिराज श्री योगीन्द्र विजयजी म. के सदुपदेश से यह तीर्थ बना हैं। श्री जैन हितवर्धक मंडल द्वारा यह तीर्थ बना है। अंजनशलाका तथा प्रतिष्ठा महोत्सव प. पू. आ. भ. श्री विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज आदि की निश्रा में पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वर जी म. के मार्गदर्शन के अनुसार अति भव्य रीति से उजवाया था। प्रतिष्ठा २०४६ फागुन सुदी ११ को हुई है। भव्य उपाश्रय, आराधना हॉल, धर्मशाला, भोजनशाला, भाताखाता वि. की व्यवस्था हैं। राजकोट और सुरेन्द्रनगर मध्य के तीर्थ हैं। राजकोट से ६५, चोटीला से २०, सायला से १४, सुरेन्द्रनगर से ३५, लीबड़ी से ४५ कि.मी. दूर है। नेशनल हाईवे नं. ८ ऊपर रोड पे है।