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________________ ११८) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ नदी में श्री महावीर स्वामी चरणपादुका श्री महावीर स्वामी पादुका देरी पीanimualleg __मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान यहाँ पर प्राचीन जिनालय हैं । भव्य एवं सुंदर है । बगल में श्री शान्तिनाथजी का नवीन सुन्दर मंदिर बना हैं । इसका प्राचीन नाम वर्धमान पुरी था। यहाँ पर महावीर स्वामी भगवान पधारे थे। श्री आदीश्वर भगवान की प्रतिष्ठा संवत १८२९ माघ सुदी ७ बाजु में शान्तिनाथ भगवान की प्रतिष्ठा २००४ पू. आ. श्री नेमिसूरिजी म. के द्वारा हुई हैं। मकान का खुदाई के कार्य में संप्रति राजा के समय की ४ प्रतिमायें नीकली वे आदिनाथ मंदिर में चौमुख मंदिर बनाके स्थापित की। शामला पार्श्वनाथ जी का मंदिर है। जो ३०० वर्ष प्राचीन हैं । चौथा शीतलनाथ भगवान का शिखरबन्द मंदिर संवत २००४ वै. सु. ६ को प्रतिष्ठा हुई । भगवान की चरण पादुका मंदिर महावीर स्वामी यहाँ पधारे थे उनकी स्मृति स्वरूप भोगावा नदी के कांठे हैं। यह यात्रा स्थल है। यहाँ से बहुत सारी प्रतिमायें जमीन में से निकली हैं। आज भी खुदाई के कार्य में प्रतिमायें मिलती हैं। चरण पादुका मंदिर संवत १७५७ में निर्माण कराया। जीर्णोद्धार संवत २०२४ बिजली गिरने से चलित होने पर पुन: जीर्णोद्धार २०४१ में हुआ। यह प्राचीन नगर है। यहाँ पर राणकदेवी के सती होने का कहा जाता है। उसकी यहाँ देरी है। प्राचीन माघावाव है, परोपकार के लिए माघव दम्पति ने प्राणों की आहुति प्रदान कर जल प्रगट किया था ऐसा कहा जाता है। जैनों के घर २५०, धर्मशाला-भोजनशाला हैं। सेठ आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी सुरेन्द्र नगर से ५ कि.मी. है। सुरेन्द्र नगर अहमदाबाद हाईवे पर आता हैं। रेल्वे का बड़ा स्टेशन है। बहुत से स्थानों से बसें मिलती हैं। जमीन में से निकली हुई श्री चौमुख प्रतिमाजी :
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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